Antarvasna, hindi sex story: दोपहर के वक्त मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था तभी दरवाजे की डोर बेल बजी, मां ने मुझे आवाज देते हुए कहा कि राजेश बेटा देखना कि दरवाजे पर कौन है। मैं दरवाजे की तरफ गया और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने एक डाकिया खड़ा था डाकिया ने मुझे एक लिफाफा दिया और उसने मुझसे एक कागज पर दस्तखत करवा लिये उसके बाद वह चला गया। मेरी मां भी उस वक्त बाहर आ गई और वह कहने लगी बेटा क्या है तो मैंने मां से कहा कि मां शायद पापा का कोई जरूरी लिफाफा है मैंने उसे मां को दे दिया और मैं अपने कमरे में आ गया. hindi chudai ki kahani मैं जैसे ही बिस्तर पर लेटा तो मुझे गहरी नींद आ गई और उसके बाद जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि शाम के 6:00 बज रहे हैं मैंने मां से कहा कि मां मेरे लिए चाय बना दो। मां ने मेरे लिए चाय बनाई और मैं उसके बाद अपने कॉलोनी के पार्क में चला गया वहां पर मुझे मेरे दोस्त मिले।
मेरे दोस्त लोग सब आपस में बात कर रहे थे तो मैंने उन्हें कहा कि मैं आजकल काफी ज्यादा परेशान हूं निखिल ने मुझे कहा लेकिन राजेश तुम क्यों परेशान हो। मैंने निखिल से कहा कि जब से नौकरी छोड़ दी है तब से मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना चाहिए। कुछ समय पहले ही मैंने अपनी जॉब से रिजाइन दिया था मैंने अपनी पढ़ाई की और उसके बाद मैं दिल्ली वापस लौट आया दिल्ली में ही एक कंपनी में मैं जॉब करने के बाद मैंने वहां से रिजाइन दे दिया लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए मैं काफी ज्यादा परेशान भी था। निखिल ने मुझे कहा कि राजेश तुम दूसरी कंपनी में जॉब के लिए क्यों ट्राई नहीं करते मैंने निखिल से कहा कि सोच तो मैं भी यही रहा हूं लेकिन मेरा नौकरी करने का फिलहाल कोई मन नहीं है। मेरे सारे दोस्त वहां से जा चुके थे हम लोग हर रोज शाम के वक्त अपने कॉलोनी के पार्क में ही मिला करते थे निखिल मेरे साथ था तो निखिल ने मुझे कहा कि राजेश तुम कहो तो मैं अपने मामा जी से तुम्हारे बारे में बात करता हूं। मैंने निखिल से कहा लेकिन तुम्हारे मामा जी मेरी क्या मदद करेंगे तो निखिल ने मुझे बताया कि वह अपनी कंपनी चलाते हैं तुम कहो तो मैं तुम्हें उनसे मिलवा सकता हूं।
मैंने निखिल को कहा ठीक है मैं उनसे मिल लूंगा तुम बताओ हमे उनसे कब मिलना है तो निखिल कहने लगा कि कल ही हम लोग मामा जी से मिलने के लिए उनके ऑफिस चलते हैं। मैंने निखिल को कहा ठीक है कल हम लोग तुम्हारे मामा जी से मिलने के लिए उनके ऑफिस चल पड़ेंगे और अगले दिन हम लोग निखिल के मामा जी से मिलने के लिए उनसे ऑफिस चले गए। जब हम लोग निखिल के मामा जी से मिलने उनके ऑफिस गए तो वह उस वक्त ऑफिस में ही थे निखिल ने उनसे मेरा परिचय करवाया। निखिल के मामा जी ने कहा कि बेटा तुम हमारी कंपनी में ही नौकरी कर लो मुझे भी लगा कि मुझे उनके साथ ही काम करना चाहिए और फिर मैंने निखिल के मामा जी के साथ काम करना शुरू किया। मैं उन्हीं की कंपनी में नौकरी करने लगा था उन्होंने मुझे एक अच्छे पड़ पर रखा और उसके बाद जब मैं अच्छे से काम करने लगा तो एक दिन उन्होंने मुझसे आकर कहा कि राजेश बेटा मैं अपनी कंपनी शुरू कर रहा हूं अगर तुम चाहो तो तुम उस कंपनी को संभाल सकते हो। मेरे लिए तो यह बहुत खुशी की बात थी क्योंकि निखिल के मामा को मुझ पर पूरा भरोसा हो चुका था उनका नाम गोविंद है। गोविंद सर मुझ पर पूरी तरीके से भरोसा करते थे और मैं भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि वह मुझ पर भरोसा करने लगे हैं अब मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक होने लगा था मेरी सारी परेशानियां दूर हो गई थी मैं जिस दुविधा में था कि आखिरकार मुझे क्या करना चाहिए वह दुविधा भी मेरी अब दूर हो चुकी थी और मैं अब एक कंपनी संभालने मानने लगा था। कुछ समय बाद कंपनी और भी अच्छे से चलने लगी तो एक दिन निखिल मेरे पास आया और कहने लगा कि राजेश तुम्हारी मामा जी बहुत तारीफ करते हैं और वह तुम पर काफी भरोसा भी करते हैं। मेरे लिए तो यह बहुत ही खुशी की बात थी मैं कभी भी गोविंद जी के घर पर नहीं गया था लेकिन जब मैं उनके घर पर गया तो उन्होंने अपने परिवार से मेरा परिचय कराया लेकिन कविता को देखते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं उसे कई वर्षों से जानता हूं।
कविता से मैं पहली बार ही मिला था कविता उनकी बेटी है और मुझे ना जाने उसमें ऐसा क्या दिखा कि मैं उसकी तरफ आकर्षित होता चला गया मुझे नहीं मालूम था कि वह भी मेरी तरफ आकर्षित हो जाएगी और हम दोनों एक दूसरे से मिलने लगेंगे। हम दोनों चोरी छुपे एक दूसरे से मिलने लगे थे परंतु यह बात जब गोविंद जी को पता चली तो उन्होंने मुझे उस दिन अपने घर पर बुलाया और कहा कि क्या तुम कविता से प्यार करते हो। मैंने उन्हें कहा हां मैं कविता से प्यार करता हूं कविता उनकी इकलौती बेटी है और उन्होंने मुझे उस दिन कहा कि राजेश मैंने कविता को बहुत ही प्यार से पाला है उसे मैंने कभी भी किसी प्रकार की कोई कमी महसूस नहीं होने दी और मैं चाहता हूं जिससे उसकी शादी हो वह उसका पूरा ध्यान दें। मैंने कहा कि मैं कविता को कभी कोई कमी नहीं होने दूंगा और हमेशा ही उसे खुश रखूंगा तो वह भी कहने लगे कि राजेश मैं भी तुमसे यही उम्मीद करता हूं। वह भी अब हम दोनों के रिश्ते को लेकर मान चुके थे लेकिन कविता अभी अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी इसलिए हम लोग शादी नहीं कर सकते थे परंतु हम दोनों एक दूसरे से मिलते ही रहते थे।
कविता से जब भी मेरी मुलाकात होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता एक दिन कविता मुझे कहने लगी आज मुझे तुम्हारे साथ बहुत ही अच्छा लग रहा है। हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे मैंने उस दिन कविता की जांघों पर हाथ रखा उसने टाइट जींस पहनी हुई थी जब मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा तो मुझे अच्छा लग रहा था। मैं उसकी जांघों को सहलाने लगा और उसके अंदर की गर्मी को मैं बढ़ाने लगा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और वह भी गर्म होती जा रही थी। उसके बदन की गर्माहट इतनी ज्यादा होने लगी थी कि वह मुझे कहने लगी मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही हूं उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था कि उसके अंदर की गर्मी इतनी अधिक हो चुकी है कि वह बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रही है। मैंने भी इस मौके का फायदा उठाया और उसे अपनी गोद में बैठा लिया जब मैंने उसे अपनी गोद में बैठाया तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसके बदन को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था उसने भी मेरे लंड को बाहर निकाला जब वह लंड को अपने हाथ में लेकर उसे हिलाने लगी तो मुझे मजा आने लगा। मैंने उसे कहा तुम लंड को मुंह में ले लो उसने जैसे ही अपनी जीभ का स्पर्श मेरे लंड पर किया तो मेरा लंड और भी ज्यादा कठोर होने लगा मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा हो चुका था और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था उसने मुझे कहा मेरे गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी है। मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया जब मैंने उसकी कोमल चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा और उसकी चूत को चाटने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा था।
उसकी चूत से इतना ज्यादा पानी निकलने लगा था कि मैंने अपने लंड पर तेल लगा लिया मैंने जब अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया मैंने जब उसकी कोमल और मुलायम चूय पर लंड लगाया तो उसकी चूत पानी बाहर की तरफ छोड़ रही थी मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को धीरे धीरे डालना शुरू किया तो वह चिल्लाने लगी मेरा लंड आधा अंदर तक जा चुका था उसके मुंह से चीख निकली। उसी चीख के साथ मैंने उसे एक जोरदार झटका मारा जिससे कि मेरा लंड पूरे अंदर तक समा गया और उसकी योनि से खून बाहर निकल आया खून बाहर निकलते ही वह मुझे अपनी बाहों में कसकर जकडने लगी। मैं उसके बदन को महसूस करने लगा मैने उसके स्तन को चूसने लगा मैंने उसे बड़ी तेजी से चोदना शुरु कर दिया था।
मैंने उसके स्तनो को मुंह में लिया और उन्हें मैं चूस रहा था जैसे कि मैं उसके स्तनों को खा जाऊंगा। मैंने उसके बूब्स को अपने मुंह में लेने की कोशिश की लेकिन उसके स्तन मेरे मुंह में नहीं जा रहे थे अब मेरी गति बढ़ने लगी थी। मैं उसे इतनी तीव्रता से चोदना लगा था कि वह बड़ी जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मेरी चूत मारते रहो मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया अब मैंने उसे इतनी तेज गति से धक्के देने शुरू किए की कविता चिल्लाने लगी और कहने लगी मेरी चूत से बहुत खून निकल रहा है। मुझे पता चल चुका था कविता झड़ने वाली है क्योंकि उसकी चूत के अंदर से लावा कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा में बाहर निकलने लगा था इसलिए मैं भी जल्द से जल्द उसकी योनि के अंदर माल को गिराना चाहता था। मैंने जैसे ही एक जोरदार झटके के साथ अपने वीर्य की पिचकारी को उसकी योनि के अंदर गिराया तो वह खुश हो गई और उसने मुझे गले लगा कहा राजेश आई लव यू।