नमस्कार दोस्तों
मैं राजेन्द्र आज फिर अपनी नई कहानी लेकर आपके सामने आया हुँ, तो बिना देरी के कहानी शुरू करते हैं।
जैसे मैंने अपनी पहली कहानी में बताया की किस तरह से मैंने सुनिता को पागल कमल से चुदावाया था। अब आगे …
कमल के जाने के बाद सुनिता को किसी नए लंड की तलाश थी और मैं भी व्याकुल था की तगड़ा और मोटा लंड मेरी सुनिता को मिले पर इज्जत के डर से हर किसी को न्योता भी तो नहीं दे सकता था। एक दिन सुनिता ने बताया की जब वह खेत से चारा ला रही थी तो उसने बाबाजी को झाडियों के पीछे मुठ मारते हुए देख लिया था। उसके बताया की उनका काला लम्बा लंड करीब 9 से 10 इंच का है। जब से उसने बाबाजी का लंड देखा है तब से उसे उनसे चुदने की इच्छा हो गई है। वह मुझसे मिन्नत करने लगी की मैं बाबाजी का लंड उसकी चूत के लिए प्रबंध करूँ।
बाबाजी हमारे गाँव के बाहर एक झोंपडी में रहते थे। उनकी उम्र 35 साल के करीब थी। कद करीब 6 फिट और तगड़े पहलवान की तरह थे। वो करीब एक साल से ही वहाँ पर रह रहे थे। दिनभर भिक्षा माँग कर रात को अपनी कुटिया में ही सो जाते थे। मैं सुनिता के लिए बाबाजी के पास गया पर समस्या यह थी की बाबाजी को कैसे पटाया जाए। खैर मैंने भी सोचा की क्यों न प्रयास किया जाए। मैं शाम को करीब 6 बजे बाबाजी की कुटिया पर चला गया। बाबाजी ने चाय बनाई और मेरे आने का कारण पूछा। मैं बाते बनाने लगा और बातों ही बातों में कह दिया की मैंने उन्हें झाडियों में मुठ मारते देख लिया था, बाबाजी एकदम से सकपका गए और हाथ जोड कर बोलने लगे की किसी को मत बताना वर्ना उन्हें गाँव छोड़ना पड़ जाएगा। मैंने उनसे कहा की मुझे उनपर तरस आ गया है और मैंने उनसे अनुरोध किया कि वह सुनिता की चूत मारकर अपनी ज्वाला को शांत करें, पर बाबाजी नहीं माने और मना कर दिया क्योंकि वह मेरी पत्नी को जानते थे और उसके साथ संभोग करने में उन्हें सकोच हो रहा था।
मेरे काफी आग्रह करने पर वह मान गए पर उन्होंने एक शर्त रख दी की वह सुनिता की चुदाई नींद में करेंगे ताकि उसे पता न चले। मैंने कहा की नींद में कैसे चुदाई कर सकते हैं ? उन्होंने मुझे अपनी कुटिया में से एक लड्डू लाकर दिया ओर कहा की रात को सोने से पहले तुम यह लड्डू सुनिता को खिला देना जिससे उसकी नींद सुबह तक नहीं खुलेगी और रातभर बाबाजी उसके साथ संभोग कर सकेंगे। मैंने बाबाजी से पूछा की किस समय आकर वह सुनिता की चुदाई करेंगे तो उन्होंने कहा की रात के 9 बजे के करीब वह घर पर पीछे के दरवाजे से आ जाएगें तब तक तुम सुनिता को लड्डू खिलाकर सुला देना। मैंने उनकी बात मान ली और उनसे वह लड्डू लेकर घर वापस आकर सुनिता को सारी कहानी बता दी। सुनिता उदास हो गई की नींद में चुदवाने का क्या फायदा तो मैंने उसे सुझाव दिया की तुम लड्डू मत खाना और मैं बाबाजी से कह दुंगा की तुम लड्डू खा कर सो गई हो। सुनिता तपाक से मान गई और मुझे चुमने लगी। रात के करीब 8.30 तक हम ने खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे और बाबाजी का इन्तजार करने लगे। मैंने सुनिता को बगल वाले कमरे में सुला दिया और खुद अपने कमरे में सो गया जहाँ से मैं बाबाजी और सुनिता की चुदाई देख सकूँ जैसे पहले कमल और सुनिता की चुदाई देखी थी। सुनिता और मैं दोनों बाबजी का इन्तजार कर रहे थे। करीब 9.10 पर बाबाजी पीछे के दरवाजे पर आ गए जहाँ मैं उनका इन्तजार कर रहा था। बाबाजी ने आते ही मुझे पूछा की क्या सुनिता सो गई है ? तो मैंने कहा की लड्डू खाकर सोए हुए उसे आधे घंटे से ज्यादा समय हो गया है। मैंने पीछे वाले दरवाजा बंद करके बाबाजी को सुनिता के कमरे में ले गया जहाँ सुनिता ब्लाउज और पेटीकोट में सोने का नाटक कर रही थी। मैंने बाबाजी को कहा की आज रात के लिए सुनिता उनके हवाले है और मैंने बाबाजी से कहा की कुंडी लगाकर रातभर सुनिता के साथ संभोग कीजिए और मैं छत पर सोने जा रहा हुँ।
बाबाजी ने मुझे धन्यवाद दिया और मैंने उनको प्रणाम करके कमरे के बाहर चला गया ओर मेरे बाहर जाते ही बाबाजी ने अंदर से कुंडी लगा ली। मैं भी चुपचाप अपने कमरे में जाकर खिड़की के सुराग में से बाबाजी और सुनिता की रासलीला देखने लगा। बाबाजी ने पहले सुनिता को जगाने की कोशिश की पर सुनिता नहीं उठी, बाबाजी ने उसे पकड कर हिलाया डुलाया पर वह चुपचाप पड़ी रही। बाबाजी को विश्वास हो गया था की वह लडृडू की वजह से गहरे नशे में सो रही है।
बाबाजी ने अपना कुर्ता और धोती उतार दी। उन्होंने धोती के नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था। उनका लंड काले नाग की तरह फनफना रहा था जो सुनिता के छेद में जाकर अपनी गर्मी निकालने को बैचेन था। बाबाजी ने बडे़ आराम से सुनिता के ब्लाउज और पेटीकोट को उतार दिया। सुनिता ने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ था और वह बाबाजी के सामने बिल्कुल नंगी थी। बाबाजी ने सुनिता की जाँघों को फैलाकर उसकी चूत के दर्शन किए जिसको सुनिता ने बाबाजी के लिए बिल्कुल साफ किया हुआ था। चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत बिल्कुल चिकनी थी। बाबजी ने देरी न करते हुए सुनिता की चूत का चुंबन लेकर उसे चाटने लगे। बाबाजी किसी बच्चे की तरह उसकी चूत को चाट रहे थे और बीच बीच में अपनी जीभ उसकी चूत में दाखिल कर देते थे। सुनिता की साँसे तेज हो रही थी, मुझे डर था की बाबाजी को कहीं पता न चल जाए। पर बाबाजी तो चूत के रस पान में व्यस्त थे। 10 मिनट के रसपान के बाद बाबाजी अपना काला लंबा लंड लेकर सुनिता के चेहरे कि तरफ आ गए। बाबाजी के लंड की लंबाई करीब 10 इंच की थी और मोटाई सुनिता कलाई से भी मोटी थी। बाबाजी ने अपना लंड सुनिता के मुँह पर फैरने लगे। कभी उसके होठों पर तो कभी नाक के ऊपर। फिर बाबाजी ने सुनिता के मम्मों का रसपान किया और दोनों मम्मों के बीच अपने लंड को फंसाकर मैथुन करने लगे। इस तरह बाबाजी सुनिता के जिस्म के पूरे मजे ले रहे थे। पर अब उनका संयंम टूट रहा था तो वो सुनिता की बगल में सो गए और उसके होठों को चूमने लगे और चूमते हुए सुनिता पर चढ़ गए।
सुनिता की चूत भी पानी छोड़ रही थी शायद उसकी चूत भी बाबाजी के काले नाग को निगलना चाह रही थी। बाबाजी ने धीरे से सुनिता के चूत के दरवाजे पर अपना लंड सटा दिया और एक हल्के झटके से लंड का टोपा सुनिता की चूत में दाखिल करवा दिया। लंड के टोपे के अंदर जाते ही सुनिता हल्की सी तिलमिला गई क्योंकि बाबाजी के लंड के टोपे का आकार काफी बड़ा था। बाबाजी ने हल्के हल्के झटके मारते हुए लंड का अंदर बाहर करना शुरू कर दिया जिससे हर झटके के साथ लंड सुनिता के अंदर चला जा रहा था। बाबाजी बड़े आराम से सुनिता की चुदाई कर रहे थे। करीब 20 – 25 हल्के झटकों के साथ बाबाजी का 7 इंच लंड अंदर बाहर हो रहा था जिस पर सुनिता की चूत की गाढ़ी मलाई लगी हुई थी। फिर बाबाजी ने अपने झटको की रफ्तार तेज कर दी और जोर जोर से चोदने लगे। करीब 10 – 12 झटकों में ही उन्होंने अपना समूचा लंड सुनिता की चूत में उतार दिया था और सुनिता की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी। जब बाबाजी ने महसूस किया की उनके लंड के आकार को सुनिता की चूत ने स्वीकार कर लिया है तो वह सुनिता के मम्मों को पकड़कर और तेजी से उसे चोदने लगे। पूर कमरे में फच … फच … की आवाजें गुंज रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद बाबाजी ने अपना लंड बाहर निकाला और सुनिता की एक टाँग को उठाकर फिर से अपने लौडे को चूत में डालकर दनादन चुदाई करने लगे।
सुनिता मुँह से केवल सिसकारियाँ ही निकल पा रही थी। शायद उसका भी मन हो रहा था की वह उठ जाए और बाबाजी के साथ चुदाई का आनंद ले पर वह चुपचाप पड़ी रही, क्योंकि वह बाबाजी के आनंद में कोई खलल नहीं डालना चाह रही थी। अब बाबाजी ने सुनिता की दोनों टाँगों को ऊपर उठाकर अपने कंधो पर रखकर कसकस कर धक्के मारने लगे। मैं भी देखकर दंग था की बाबाजी में कितनी स्फूर्ति है ? बाबाजी को करीब 40 मिनट हो गए थे सुनिता की चूत का मंथन करते हुए पर अभी तक उनके लंड में या उनके किसी भी तरह की थकावट नहीं लग रही थी एक तेज रफ्तार से सुनिता को चोदे जा रहे थे। 15 मिनट के बाद बाबाजी ने सुनिता की टाँगों को नीचे किया और उसकी चूत को अपनी धोती से साफ करने लगे क्योंकि चूत काफी चिकनी हो गई थी। चूत की सफाई करके बाबाजी ने फिर से सुनिता की टाँगों को चोडा करके अपने काले नाग को चूत के अंदर दाखिल कर चुदाई शुरू कर दी। वह सुनिता से लिपटकर उसको चुमते हुए उसकी चुदाई कर रहे थे जिससे सुनिता के अंदर ओर भी आग भड़क रही थी पर वह विवश थी। कुछ देर बाद बाबाजी की रफ्तार चरम सीमा पर पहुँच गई, शायद वह झड़ने वाले थे और सुनिता भी तेजी से सांसे ले रही थीं, शायद वह भी चरम सुख के आनंद की प्राप्ती कर रही थी। तभी अचानक सुनिता ने बाबाजी को कसकर पकड़ भींच लिया अपनी आँखें खोल दी। बाबाजी का पानी निकलने वाला था तो वो भी नहीं रूक पा रहे थे। सुनिता ने कहा निकाल दो अपना उबलता हुआ लावा मेरी चूत के अंदर और उसकी गर्मी को शांत कर दो आईईई …. ओह माँ …. मेरी चूत … से …. पानी …. आ … ह … जोर से … ओर जोर से, बाबाजी भी काफी तेजी से झटके मारते हुए सुनिता की चूत में ही झड़ गए।
बाबाजी एकदम से उठ खडे हुए और धोती से अपने आप को ढकने लगे और सुनिता से माफी माँगने लगे। तो सुनिता ने उनको सब बता दिया की यह सब उसका ही किया धरा है। बाबाजी को समझने में देर नहीं लगी और वह सारा माजरा समझ गए। सुनिता ने बाबाजी की धोती खींचकर उन्हें अपने बगल में बैठाकर कहा की जब से आपका लंड देखा है तब से आपसे चुदने को आतुर थी। बाबाजी ने भी कहा की वह भी उसे चोदना चाहते थे पर डरते थे की कहीं वह बुरा न मान जाए। सुनिता ने कहा की ऐसा लंड खाने के लिए को कोई भी तैयार हो जाएगी तो बाबाजी ने भी कहा की तुम्हारी चूत को चोदने के लिए कोई भी राजी हो जाएगा।
सुनिता ने बाबाजी को अपने बगल में लेटाकर उनके सोए हुए लिंग को सहलाने लगी जो अभी भी करीब 6 इंच लंबा था। बाबाजी ने पूछा की सुनिता तुम्हें मेरी चुदाई कैसी लगी तो सुनिता ने कहा की आपकी चुदाई ने तो मुझे स्वर्ग का मजा दिला दिया यह कह कर सुनिता ने बाबाजी के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चुसने लगी। सुनिता कभी बाबाजी के लंड से खेलती तो कभी उनके आंडो से, बाबाजी का लंड 5 मिनट में ही अपने विकराल रूप में तैयार हो गया और चुदाई के एक ओर दौर के लिए तैयार हो गया। बाबाजी ने सुनिता को 69 पोजिशन में कर दिया, सुनिता बाबाजी के ऊपर से लंड चूस रही थी और बाबाजी सुनिता की चूत नीचे लेटे हुए चाट रहे थे। 10 मिनट की इस चुदाई के बाद सुनिता ने बाबाजी से कहा की चूत काफी चुदास हो रही है उसे लंड खाना है तो बाबाजी ने कहा की अब तुम्हारी ऐसी चुदाई होगी जैसे पहले कभी नहीं हुई होगी। सुनिता यह सुनकर खुश हो गई। बाबाजी ने सुनिता को उठाया और दरवाजे की ओर ले गए। उन्होंने दरवाजा खोल दिया तो सुनिता ने पूछा कि क्या कर रहे हैं तो बाबाजी ने कहा की आज रात वह सुनिता को कई आसनों में चोदेंगे। यह कह कर बाबाजी ने दरवाजे के पास पडे एक स्टूल को दरवाजे के सामने रख दिया और सुनिता से कहा की अपने दोनों पैरों को दरवाज में फंसा लो और आगे की तरफ झुककर स्टूल को पकड़ लो। सुनिता ने ऐसा ही किया, फिर बाबाजी ने सुनिता की पीछे से चूत मारना शुरू कर दिया और जोरदार तरीके से उसे चोदने लगे। बाबाजी किसी घोडे़ की तरह सुनिता की चूत को चोद चोद कर उसका भरता बना रहे थे तो सुनिता भी उनका पूरा साथ दे रही थी। कुछ देर के बाद बाबाजी ने सुनिता को अपने सामने खड़ा करके उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसकी जाँघों को पकड़कर ऊपर उठा लिया और उसे चोदने लगे। इस तरह बाबाजी सुनिता को आसन बदल बदल कर चोदते रहे। अंत में बाबाजी ने सुनिता को पेट के बल लेटाकर उसकी चूत के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत ऊपर की तरफ उठ गई और बाबाजी ने अपना लंड डालकर नीचे हाथ चलाकर उसके मम्मों को पकड़कर दनादन चोदना शुरू कर दिया। करीब 1 घंटे की चुदाई के बाद बाबाजी ने अपना माल सुनिता की चूत में डाल दिया। इस तरह रातभर बाबाजी ने सुनिता को करीब 7 – 8 बाद चोदा। सुबह 5 बजे बाबाजी सुनिता की अंतिम चुदाई करके वापस अपनी कुटिया में चले गए। सुनिता की चूत सूजकर पकौंडे जैसी हो गई थी। अगले दिन वह दिनभर सोती रही। …