मेरा नाम राजेन्द्र है और मेरी उम्र 28 वर्ष है.
आज मैं आपसे अपनी और अपनी पत्नी सुनिता जिसकी उम्र 25 वर्ष है अपनी पहली का जिक्र करने जा रहे हैं, उम्मीद करता हुँ की आपको कहानी पंसद आएगी।
मेरी शादी करीब दो वर्ष पूर्व सुनिता है हुई थी, सुनिता का शरीर काफी गठा हुआ और मादक है, वो शहरी लड़कियों की तरह दुबली पतली न होकर काफी सुडौल शरीर की है, सुनिका का कद 5.5 फुट है। हम हमारे गाँव जो कि राजस्थान में है वही रहते थे। गाँव के ज्यादातर लोग अपने खेतों में रहते और गर्मीं के दिनों में गाँवों में आकर रहने लग जाते क्योंकि गर्मीयों के समय खेतों में कुछ नहीं होता था।
हमारें गाँव में एक बैंक था जिसके नए मैनेजर साहब का तबादला हमारे गाँव में ही हुआ था, मैनेजर साहब हमारे पडौस में मकान किराये पर ले लिया था, मैनेजर साहब की पत्नी व एक बेटा भी उनके साथ ही रहते थे। मैनेजर साहब की उम्र करीब 45 के आस पास और उनकी पत्नी की उम्र करीब 42 के आसपास होगी। उनका बेटा कमल काफी जवान था और शायद 22 – 23 साल का 6 फुट का गबरू जवान था। कुछ दिनों के बाद पता चला की मैनेजर साहब के बेटे की बचपन में सिर पर चोट लगने से उसका मानसिक संतुलन खराब था और हमेशा घर पर ही रहता था। मैनेजर साहब की पत्नी नहीं चाहती थी की कोई भी उसके बेटे को पागल बोले इसलिए उसको अक्सर घर पर ही रखना पसंद करती थी। कमल हमेशा अपने ही ख्यालों में खोया रहता और अपने आप ही बातें करते रहता। वह बुदबुदाते हुए हाथों से अजीबों गरीब इशारे भी करते रहता पर वह बिल्कुल शांत स्वभाव का था।
मेरी पत्नी सुनिता को चुदाई का बड़ा शौक था, जब वह चुदाई के समय सिसकियां लेती तो किसी मरे हुए लंड में भी जान डाल देती। चुदाई के समय जिस तरह वह चिपकती और आंलिंगन करती तो मैं भी दोबारा चुदाई के लिए तैयार हो जाता, चुदते समय वह बिल्कुल भी संकोच नहीं करती और चुदास भी आँखो और अश्लील बातों से चुदाई का मजा 10 गुना बढ़ा देती। लेकिन सुनिता की चूत में से कभी
मैंने पानी रिसते हुए नहीं देखा था, जब भी मेरा लंड उसकी चुत में पानी डालता तो बस उतना ही मुझे बाहर देखने को मिलता। मैने कई बार सुनिता से पुछा भी लेकिन उसको भी इन बातों का कोई अनुभव नहीं था इसलिए अक्सर मुझे अपने लंड पर तेल लगाकर उसकी चुदाई करनी पड़ती थी क्योंकि उसकी चूत एकदम कसी हुई व बेहद टाइट थी और उसकी चूत में से भी पानी नहीं निकलता था।
एक दिन मैनेजर साहब की पत्नी को अपने पीहर अजमेर जाना पड़ा करीब 15 दिनों के लिए, शायद उनके पीहर में कोई समारोह था वह अपने पति को साथ ले जाना चाहती थी परन्तु कमल को वह अकेला भी नहीं छोड़ सकती थी और साथ भी नहीं ले जा सकती थी। इसलिए वह अकेली ही चली गई और हम लोगों को कहा की हम मैनेजर साहब का ध्यान रखें क्योंकि काम में व्यस्तता के कारण उनको समय का ध्यान नहीं रहता। हमनें उन्हें आश्वासन दिया की हम मैनेजर साहब का और कमल का ध्यान रखेंगें। कमल वैसे तो बहुत शर्मिला किस्म का लड़का था और अक्सर अपने कमरे में रहना पसंद करता था। मेरी पत्नी नाश्ता और दोनों समय का खाना घर पर ही पकाकर मैनेजर साहब के घर पहुँचा देती थी। मैनेजर साहब भी हमें अपने घर के सदस्यों की तरह मान सम्मान देते थे।
एक दिन मैनेजर साहब को अचानक बैंक के कार्य के लिए दिल्ली से एक हफते के लिए बुलावा आ गया परंन्तु मैनेजर साहब कमल को अकेला छोडकर नहीं जाना चाहते थे, उन्होंने अपनी समस्या हमें बताई तो हमने एक अच्छे पडोसी होने के नाते उन्हें आश्वासन दिया कि वो निश्चिन्त होकर जाने को कहा और उनके बेटे की जिम्मेदारी भी हमने स्वीकार कर ली। मैनेजर साहब के लिए पराठे और सूखी सब्जी बनाकर सुनिता ने उनको विदा किया और उन्होंन हमारा दिल से शुक्रिया अदा किया, साथ में कमल के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी दी की रात में उसे अकेले में डर लगता है तो उसे अकेला न छोडें और कुछ दवाईया बताकर वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
कमल को हम अपने घर ले आए और उसको एक कमरे में रहने की व्यवस्था भी कर दी और मैंने सुनिता को कहा की रात को मैं कमल के साथ ही सो जाऊँगा ताकि उसको डर न लगे। सुनिता भी इस बात के लिए राजी हो गई।
शाम के करीब चार बजे सुनिता ने सब के लिए चाय नाश्ता बनाया और मै कमल को चाय नाश्ते के लिए बुलाने उसके कमरे में गया तो वो लेटा हुआ था, जैसे ही मैंने उसे बाहर आने का इशारा किया तो चुपचाप एक सीधे बच्चे की तरह बाहर आकर हमारे साथ बैठ गया। उसने हमारे साथ चाय नाश्ता किया और चुपचाप वापस अपने कमरे में चला गया, काफी देर तक मैं और सुनिता कमल की ऐसी हालत पर बात करते रहे। बाद में सुनिता उठ कर रात के खाने कि तैयारी में लग गई और मैं टीवी देखने में मशगुल हो गया।
थोड़ी देर में ही कमल बाहर आया और बाथरूम में चला गया, शायद उसके पैशाब लगा था। जैसे वह बाथरूम में गया तो बिना दरवाजा बंद करे ही मूतने लग गया, बाथरूम का दरवाजा किचन और मेरे बिलकुल सामने था, सुनिता अपने काम में व्यस्त थी तो उसका ध्यान नहीं गया फिर मैंने भी सोचा की इसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के वजह से इसे किसी बात का ज्ञान नहीं हैं, एकाएक मेरा ध्यान उसके लंड पर पड़ा, उसको लंड मुरझाई अवस्था में भी करीब 8 इंच जिनता था, मैं देखकर एकदम से आश्चर्य चकित हो गया और उसके लंड को ही देखता रह गया की क्या किसी इंसान का लंड भी इतना बड़ा हो सकता है ?
उसका लंड देखते ही मेरे दिमाग में एक खुराफाती विचार ने जन्म ले लिया, मैंने सोचा की क्यों का इसके विकराल लंड से सुनिता की चुदाई करवा कर लाइव चुदाई देखने का मजा लिया जाए ? लेकिन सुनिता को मनाना इतना आसान नहीं था पर मैं भी पीछे हटने वालों में से नहीं था। मैने भी पक्का विचार बना लिया था कि सुनिता को कमल के विकराल लंड से चुदते हुए जरूर देखुंगा।
रात को हम लोगो ने खाना खा कर थोडी देर बातें करने लगे लेकिन कमल बिल्कुल चुप था और ऐसा लग रहा था कि वह शायद हमें सुन ही नहीं रहा है। कमल को शायद नींद आ रही थी तो मैंने उसे इशारे से समझाया की अपने कमरे में जाकर सो जाओ, और वह उठ की अपने कमरे में चला गया। मैं और सुनिता आपस में बाते करने लग गए क्योंकि हमारे सोने का समय नहीं हुआ था और मुझे मेरी खुराफात को भी करना था। मैंने सुनिता को छेड़ते हुए कहा की शायद वो दो सालों से मेरे एक ही लंड खाकर उब गई होगी तो सुनिता ने कहा की बिलकुल नहीं, फिर मैंने बीच में ही बात को काटते हुए कहा की हम सिर्फ पति पत्नी ही नहीं अच्छे दोस्त भी हैं वह मुझसे खुलकर बात कर सकती पर वह नहीं मानी और यही कहती रही की वह मुझसे पूरी तरह संतुष्ट है। मैने फिर से उसकी बात को काटते हुए कहा की क्या वो मेरी एक इच्छा पूरी कर सकती है तो उसने कहा की मेरी हर इच्छा का सम्मान करना उसका फर्ज है।
सुनिता: मैं आपकी हर बात को ससम्मान मानूँगी।
मै: सुनिता, मैं तुम्हें इतने दिनों से चोद रहा हुँ और चाहता हुँ की मैं तुम्हारी चदाई किसी और से होते हुए देखूँ।
सुनिता: लेकिन यह पाप है, आपके होते हुए मैं दूसरे मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती।
मै: क्या अपने पति के लिए इतना भी नहीं कर सकती ?
सुनिता: आप मेरी जान ले लो पर ऐसा करने को मत कहो।
मै: कोई बात नही सुनिता मैं अपने इस ख्याल के साथ ही मर जाऊँगा और कभी तुमसे अपने दिल की बात नहीं करूँगा।
इतना सूनते ही सुनिता मुझसे लिपट गई और मेरी बात मानने के लिए तैयार हो गई।
सुनिता: आपके लिए मैं कुछ भी कर सकती हुँ पर ऐसा करने से हमारी इज्जत खतरे में पड़ सकती है और पूरे गाँव में हमारी थू थू हो सकती है।
मै: तुम उसकी चिंता मत करो, मैं सब संभाल लुँगा।
मेरा तीर ठीक निशाने पर लगा था और सुनिता अब मान चुकी थी पर समस्या यह थी कि क्या सुनिता कमल जैसे पागल से चुदवाने को तैयार हो जाएगी ?
फिर सुनिता ने कहा की काफी देर हो गई हो और कमल के पास जाकर सो जाओ। मैंने कहा की क्यों न तीनों साथ में ही सो जाए क्योंकि कमल के कमरे में काफि बड़ा बैड था। थोड़ी देर आना कानी करने के बाद सुनिता भी तैयार हो गई।
मैं कमल और सुनिता के बीच में सो गया और सुनिता ने भी कपडे बदलकर नाइटी पहनकर सोने आ गई। थोड़ी देर बाद ही मैंने सुनिता के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी तो वह दबी हुई आवाज में बोली की अगर चुदाई करनी है तो अपने कमरे में चलते हैं कही कमल उठ गया तो पता नहीं क्या सोचेगा।
मै: कमल तो पागल है उसको क्या समझ आएगा की चुदाई क्या होती है ?
सुनिता: लेकिन ऐसे चुदाई करना भी तो अच्छा नहीं लगता है ना।
मै: कोई बात नहीं, कमल गहरी नींद में सो रहा है उसे कुछ पता नहीं चलेगा। जब वह इतनी गहरी नींद में है तो उठेगा कैसे।
तो सुनिता ने भी हामी भर मेरी बात का समर्थन किया और हम एक दूसरे के अंगो के साथ खेलने लगे, जैसे मैंने आप लोगों को पहले ही बता दिया था की सुनिता चुदाई के समय मस्त होकर चुदाई करवाती है और बिल्कुल भी संकोच नहीं करती है।
मैंने सुनिता की नाईटी को खोलकर बिल्कुल नंगा कर दिया और सुनिता के दोनों पैरों को चोड़ा करके उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया, जब भी मै सुनिता की चूट चाटता तो सुनिता भी मेरे लंड को चाटना और चुसना पसंद करती जिससे हमारी वासना और बढ़ जाती लेकिन आज मेरे दिमाग में कुछ और खुराफात थी तो मैं सीधे उसके सामने घुटनों के बल बैठकर उसकी चूत को चाटने लगा, कुछ ही देर में उसके मुझे 69 की पोजिशन में आने को कहा जिसका मैं बेसब्र्री से इंतजार कर रहा था। मैं समझ चुका था कि सुनिता को अपने मुँह में एक लंड चाहिए।
मै: सुनिता, आज मै जो कहुँगा तुम्हें वो करना पडे़गा।
सुनिता: यह भी कोई कहने की बात है, मैं तो सदैव आपकी आज्ञा का पालन करती हुँ।
मैं: आज तुम्हें मेरा नहीं कमल का लंड चाटना होगा मेंरे सामने, मैं तुम्हारी चूत को चाटूँगा और तुम कमल के लंड को चाटोगी।
एकदम से कमल का नाम लेते ही वह सकपका गई और बोली
सुनिता: आपका दिमाग तो सही है, मैं इस पागल के लंड को चाटूँगी ?
मैं: पागल है इसीलिए तो बोल रहा हुँ, यह किसी को कुछ बोलेगा भी नहीं और इसे समझ भी नहीं आएगा की इसके साथ क्या हो रहा है, वैसे भी कमल जैसे लडके के लंड को चाटकर तुम उस बेचारे पर एहसान ही करोगी क्योंकि ऐसे लड़कों के लंड को कोई भी लड़की चूसना और चाटना पसंद नहीं करेगी। बेचारे कमल पर दया दिखाओ, बेचारे की उम्र 25 साल हो गई है और कभी उसने किसी लड़की का स्पर्श अपने लंड पर महसूस भी नहीं किया होगा।
मेरी बात सुनकर सुनिता कमल को दया की दुष्टि से देखने लग गई और मुझसे पलटकर बोली –
सुनिता: यदि कमल जाग गया तो ?
मैं: जाग गया तो क्या होगा, उसे क्या समझ आएगा। फिर मैं भी तो यहीं पर हुं ना तुम्हारे पास
सुनिता को मेरी बात समझ आ गई और हाँ मैं अपनी गर्दन को हिला दिया।
कमरे की लाईट बंद थी और एक जीरो बल्ब जल रहा था तो कमरे में थोड़ी थोड़ी रोशनी थी लेकिन सब कुछ साफ नहीं दिख रहा था, मैने तुरन्त जाकर छोटे वाला बल्ब जला दिया जिससे कमरे में थोडी बहुत रोशनी हो गई। सुनिता ने एकदम से रोशनी देखकर चादर ओढ ली।
सुनिता: आपने लाईट क्यों चालू कर दी।
मै: मैं तुम्हें उसका लंड चाटते हुए देखना चाहता हुँ जानेमन।
सुनिता: हाय मेरी जान मुझे दूसरे का लंड चाटते हुए देखने से आपको कुछ अजीब नहीं लगेगा की आपकी पत्नी आपके सामने किसी दुसरे गैर मर्द का लंड चाट रही है ?
मैं: गैर मर्द कहाँ मेरी जान यह तो बच्चा है।
यह सुनते ही सुनिता मंद मंद मुस्कुरा दी और मैनें भी समय की नजाकत को देखते हुए सुनिता के बदन से चादर हटा दी और वह बिस्तर पर बिलकुल नंगी पड़ी हई थी, उसने भी इस बात का खास विरोध नहीं किया।
मैंने सुनिता को कमल के घुटनों के पास सुलाते हुए उसके लंड को सहलाने को कहा और उसकी चूत में अपनी जीभ को अंदर तक घुसेड दिया क्योंकि मैं जानता था की जैसे ही मैं उसकी चूत को चाटूंगा तो उसके भी लंड की तलब होगीं।
मैं सुनिता के टांगों के बीच उसकी चूत को मजे से चाट रहा था और तिरछी निगाहों से उसकी हरकतों को भी देख रहा था।
सुनिता बडे़ प्यार से कमल को देख रही थी और धीरे धीरे उसका हाथ कमल के पेट से होते हुए उसके पजामें की तरह बढ़ रहा था, मैंने भी एकदम से उठकर कमल के पजामें का नाडा खोल दिया जिससे सुनिता को कोई दिक्कत न हो और मै फिर से सुनिता की चूत को चाटने में मग्न हो गया क्योंकि मैं जानता था कि सुनिता किसी भी समय कमल के लंड को अपने मुँह में ले सकती है।
सुनिता कमल के लंड को पंजामे के अंदर ही अंदर सहलाने लगी तो मुझे अच्छा नहीं लगा, मैने उठकर कमल के पजामें को नीचे की और खींच कर घुटने तक उतार दिया तो उसके अजगर जैसा लंड बाहर आ गया जिससे देखकर सुनिता की आँखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी और कमल अभी भी गहरी नींद में सोया हुआ था।
मै: क्या हुआ मेरी जान, लगाता है मेरी जान को मस्त लंड मिल गया चूसने को ?
सुनिता: इसका लंड तो बहोत बड़ा लग रहा है अभी सोया हुआ भी आपके खडे लंड जितना लंबा है।
मै: तुम्हें क्या लगता है, क्या कभी इसका लंड खडा भी हुआ होगा और यह कहकर मैं मुस्कुरा दिया।
सुनिता: आप भी ना, बेचारा पागल है, ऐसे इंसान का मजाक तो मत उडाओं।
मै: इसलिए मैंने इस इंसान को तुम्हारे लिए चुना है जिससे इस बेचारे के लंड को भी किसी लड़की का स्पर्श मिले और हमारा सपना भी पूरा हो जाए।
सुनिता: हमारा नहीं सिर्फ आपका, मैं तो आपकी खुशी की खातिर तैयार हो गई हुँ।
मैं: मैने सुनिता को धन्यवाद कहते हुए कहा की चलो अब काम शुरू करो मेरी आँखे तुम्हें कमल का लंड चाटते हुए देखना चाह रही है।
मेरी बात सुनकर सुनिता कमल के लंड को मुठ्ठी में लेकर सहलाने लगी जैसे वह मेरा लंड हो। मुरझाया हुआ लंड भी सुनिता की मुठ्ठी में नहीं आ रहा था और मै पागलों की तरह सुनिता की चुत को चाट कर उसकी हरकतो को देख रहा था।
एकाएक सुनिता अपने घुटनों के बल कुतिया की तरह हो गई और उसका मुँह कमल के लंड के ठीक ऊपर था। एक हाथ से वो उसके लंड को सहला रही थी और दुसरे हाथ से बैंलेस बनाए हुए थी। सुनिता ने पीछे से मुझे उसकी चुत को चाटने को कहा और मै फिर से उसकी चुत को चाटने लगा।
हमारे बगल में एक ड्रेसींग टेबल था जिसका शीशा काफी बडा था, मैं उस शीशे में सब कुछ साफ साफ देख पा रहा था क्योंकि सुनिता के पीछे होने की वजह से में उसकी हरकतो को नहीं देख पा रहा था। सुनिता कमल के लंड को सहलाते हुए धीरे धीरे अपने मुँह में लेना शुरू कर दिया था।
मैं सुनिता की चूत को चाट रहा था और सुनिता कमल के विकाराल लंड को अपने मुँह में लेने का प्रयास कर रही थी। इस चुदास भरी स्थिती को देखकर मेरा लंड भी काफी उत्तेजित हो गया था।
मैंने शीशे में देख रहा था की किस तरह सुनिता कमल के लंड को ऊपर नीचे करते हुए उसके लंड का सेवन कर रही थी। कसम से सुनिता मुझे किसी रंडी से कम नहीं लग रही थी। पर देखने से मुझे भी काफी मजा आ रहा था।
मैंने सुनिता की चूत को चाटना बंद कर दिया था क्योंकि सुनिता अब बिलकुल चुदास मूड में आ गई थी और बिना किसी परवाह और संकोच के कमल के लंड को चाट रही थी। मैने महसूस किया की सुनिता को कमल का लंड चाटने में काफी मजा मिल रहा है। मैं सुनिता को कमल का घोडे जैसा लंड चाटते हुए देख रहा था और सुनिता आँखे मूंद कर कमल के लंड का रसपान कर रही थी, शायद नशे में उसे यह भी नहीं पता था की मैं बिल्कुल सामने बैढकर इस सुहावने दृश्य को देख रहा था। सुनिता ने एकदम से आँखे खोली तो मुझे सामने देखकर आँखे शर्म से झुका ली और उसके चेहरे की लाली से में समझ सकता था की उसके कितनी शर्म और मजा आ रहा होगा।
मैं इस मनमोहक दृश्य का आनंद ले ही रहा था की मैंने देखा की कमल का लंड पहले से बड़ा होता जा रहा था। सुनिता भी इस बात को समझ गई गई थी और उसने कमल के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला, कमल का लंड करीब 10 – 11 इंच जितना बड़ा हो चुका था पर अभी भी वह गहरी नींद में सोया हुआ था। फिर सुनिता ने मुझसे कहा की वो कमल के लंड को अपनी चुत में नहीं ले सकती क्योंकि उसका लंड काफी बड़ा है।
मैंने सुनिता को समझाया की डरने वाली कोई बात नहीं है, कमल नींद में है और चूत अपना आकार लंड के हिसाब से सैट कर सकती है।
सुनिता: वह सब तो ठीक है पर कमल इतनी गहरी नीदं में सोया हुआ है तो मुझ पर चढ़कर मेरी चुदाई कैसे करेगा ?
मै: अगर कमल तुम्हारे ऊपर नहीं चढ़ सकता तो तुम तो उसके ऊपर चढ़कर उसकी चुदाई कर सकती हो ?
सुनिता: लेकिन इतना लंबा लंड मेरी चूत में जाएगा कैसे ?
मैं: इसकी चिन्ता तुम मत करो, मैंने इसका भी इंतजाम कर रखा है।
सुनिता: क्या इंतजाम किया है आपने।
मैंने कहा तुम रूको मैं एक मिनट में वापस आया। इतना कह कर मैं बाहर नारियल तेल कि शीशी लेने चला गया। पर मुझे शीशी नहीं मिल रही थी तो थोडी देर ढूढने के बाद मुझे याद आया कि वो तो मैने आखिरी बार सुनिता कि चुदाई करते हुए तेल की शीशी बाथरूम में ही छोड दी थी, मैं जैसे ही शीशी लेकर वापस सुनिता और कमल के पास पहुँचा तो देखा कि सुनिता फिर से सोए हुए कमल के लंड को मुँह में लेकर दनादन चाट रही थी। मै समझ गया था की सुनिता अब कमल से चुदने के लिए बिल्कुल तैयार है जिसके लिए मैं इतना आतुर था। मैं भी चुपचाप जाकर सुनिता की लंड चुसाई देखने लगा एकदम से जब उसने मुझे देखा तो लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर शर्माते हुए बोली की क्या देख रहे हो, आपकी ही आज्ञा का पालन कर रही हुँ और इतना कह कर नजरें झुकाकर मुसकुराने लगी। मैंने भी उसकों बाहों में भरकर चुमते हुए धन्यवाद कहा।
सुनिता: अब आप बताएंगे की इनता लंबा लंड कैसे आपकी जान की चूत में जाएगा ?मैंने सुनिता को फिर से कमल के लंड को चाटने को कहा और सुनिता के पीछे जाकर काफी सारा तेल सुनिता की चुत में डालकर सुनिता की सूखी हुई चूत की मालिश शुरू कर दी और काफी सारा तेल मैंने अपनी उँगलियों से उसकी चुत के अंदर भी पहुँचा दिया। अपने लंड पर तेल उडे़ल कर सुनिता की कसी हुई चुत में धीरे धीरे अपने लंड को अंदर धकेल दिया। मेरे लंड इस चुदास भरे माहोल में करीब 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा हो चुका था। मैंने धीरे धीरे सुनिता की चुत में अपना लंड प्रविष्ट करवा दिया पर सुनिता तो कमल के लंड के मजे ले रही थी। मैंने वापस अपना लंड बाहर निकाला और चुपचाप से तेल की शीशी को अंदर डाल दिया जिसका आकार मेरे लंड जितना हीं था। शीशी करीब 10 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी। सुनिता को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की उसकी चुत में इस समय क्या जा रहा है। बड़ा चोदू नजारा था और सुनिता को बस चुदना था।
मैंने तेल की शीशी को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया ताकि तेल सुनिता कि चुत अंदर तक जाकर चूत को पूरी तरह से चिकनी कर दे जिससे उसे कमल का लंड अंदर लेने में कोई दिक्कत न हो। मैने काफी सारा तेल सुनिता की चुत के अंदर डाल दिया था, फिर मैंने शीशी को बाहर निकाल कर जैसे ही अपना लंड सुनिता की चुत के अंदर किया तो मेरा लंड एक झटके से पूरे का पूरा अंदर चला गया मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं, मैने शायाद बहोत ज्यादा तेल अंदर डाल दिया था और मेरे लंड के अंदर जाने से थोडा बहुत तेल भी बाहर आ गया था। अब मै समझ गया था कि अब मेरी सुनिता की प्यारी चूत कमल का लंड खाने को तैयार थी।
मैंने सुनिता के पास जाकर उसे खड़ा किया और कहा की सिर्फ चाटने से कुछ नहीं होगा इसे अपनी प्यारी चूत के अंदर भी लेना है। इतना सुनते ही सुनिता लाल हो गई।
मैनें कमल के लंड को देखा तो महसूस हुआ की यह ओर ज्यादा सख्त हो गया है पर कमल गहरी नींद के आगोश में सोया हुआ था। मैंने देर न करते हुए कमल के लंड पर काफी सारा तेल उडे़ल दिया और सुनिता ने भी अच्छे से मालिश करके उसको तैयार कर दिया। मैंने सुनिता को कमल के ऊपर चढकर लंड अंदर लेने को कहा और सुनिता भी इसके लिए अब तैयार थी। कमल का लंड भी बिलकुल तनकर छत की ओर देख रहा था और शायद सुनिता की चूत का इंतजार कर रहा था।
सुनिता ने कमल के लंड को अपनी चूत में सैट करके धीरे धीरे अंदर लेना शुरू किया और जैसे ही लंड का सुपाड़ा सुनिता की चुत में गया तो सुनिता एकदम से चीख पड़ी, मैंने मौके कि नजाकत को देखते हुए सुनिता के कंधों को ऊपर से नीचे की तरफ दबाया ताकि कमल के लंड का सुपाडा सुनिता की चुत से न निकल जाए, सुनिता को शायद बहोत दर्द हो रहा था, उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। मैंने धीरे धीरे सुनिता को कमल के लंड के ऊपर दबाना शुरू किया और देखते ही देखते कमल का 4 इंच लंड सुनिता की चुत में घुस चुका था और सुनिता दर्द के मारे कहरा रही थी।। कमल भी नींद में कसमसा रहा था शायद उसे भी थोड़ा बहुत दर्द हो रहा था।
मैंने सुनिता के कंधो पर थोड़ा और दबाव डाला ही था की कमल की आँखे खुल गई और वह हैरानी से सुनिता को देख रहा था क्योंकि सुनिता बिल्कुल नंगी उस पर चढ़ी हुई थी और उसके करीब 5 इंच लंड को सुनिता अपनी चूत में समाए हुए थी, और वह लंड सुनिता की चूत में हाहाकार मचा रहा था।कमल एकदम से सकपका कर बैठ गया जिससे सुनिता की चूत में से उसका लंड पक की आवाज के साथ निकल गया। सुनिता को समझ नहीं आया की वह क्या करे, कुछ पलों तक तो वो ऐसे ही उसके सामने नंगी खड़ी रही और अपने आप को संभालकर कमल के बगल में बैठ गई। कमल के चेहरे को देखकर लग रहा था की शायद वो डर गया था। सुनिता ने तुरंत उसे अपनी बाँहो में जकड़ लिया जिससे कमल को कुछ राहत महसूस हुई। मैं भी दोनों का मिलान देखकर खुश हो रहा था। कमल का मुँह सुनिता ने अपने मम्मों के बीच दबा रखा था।
अब कमल धीरे धीरे शांत हो रहा था और सुनिता उसे किसी बच्चे की तरह दिलासा दे रही थी मगर सुनिता की नजर कमल के लंड को घूर रही थी। सुनिता ने धीरे धीरे कमल के टी शर्ट को उतार दिया और पजामा जो घुटनों तक आया हुआ था उसे भी हटा दिया। कमल और सुनिता मेरे सामने नंगे धडंगे पडे थे। मैंने सुनिता को इशारा किया का चुदाई का काम जारी रखे तो सुनिता ने भी इशारे में हामी भर दी।सुनिता की बाहों में कमल धीरे धीरे नोर्मल हो रहा था अब सुनिता ने आहिस्ता आहिस्ता कमल के लंड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे कमल के मुँह से सिसकियां निकल रही थी। कमल का लंड एक बार फिर से तन गया था, मैंने सुनिता को इशारा किया की कमल की बगल में लेट जाए और कमल को उसके ऊपर चढ़ा ले।सुनिता अब कमल को बाहों में जकड़े हुए ही उसकी बगल में लेट गई और उसको अपने ऊपर खींच लिया, लेकिन कमल को यह नहीं पता था की ऊपर चढ़कर उसको क्या करना है ? लेकिन सुनिता को पता था की उसे क्या करना है। उसने कमल के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रखा और चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया, अभी भी कमल का लंड और सुनिता की चूत नारियल तेल से सरोबार थे, कमल के हल्के झटके के प्रहार से ही उसका सुपाडा सुनिता की चूत मे दाखिल हो गया और सुनिता के मुँह से आह . . . आह . . . . की आवाजें निकलने लगी। अब सुनिता कमल की कमर को पकडकर उसे धीरे धीरे आगे पीछे कर रही थी। कमल जितनी बार आगे पीछे होता उतनी ही बार उसका लंड सुनिता की चूत की गहराईयों में उतर जाता। 8 – 10 धक्कों में कमल का करीब 8 इंच लंबा और 4.5 इंच मोटा लंड सुनिता की चूत में समा गया था। जब भी कमल अपना लंड सुनिता की चूत में पेलता तो सुनिता की चूत की बाहरी खाल लंड के साथ अंदर चली जाती और जब वह लंड बाहर निकालता तो अंदर की लाल रंग की परत भी बाहर की ओर निकल आती। लेकिन अभी भी 5 से 6 इंच लंड बाहर था। अब सुनिता पूरे ताव में आ गई थी, उसकी चूत ने कमल कें लंड के आकार को स्वीकार कर लिया था। सुनिता के मुँह से दर्द की नहीं एक असिम चुदास भरी आवाजें निकल रही थीं।अब कमल ने भी अपनी रफतार बढ़ा दी थी शायद उसे भी चुदाई का आनंद मिल रहा था, अब सुनिता ने कमल की कमर को छोड़ दिया था और कमल स्वंय ही धक्के मारना शुरू कर दिया था। अचानक कमल ने पूरा लंड बाहर निकाल कर एक ही झटके में सुनिता की चूत में अपना मूसल पेल दिया जिसके लिए सुनिता तैयार नहीं थी, सुनिता जोर से चीख पड़ी ओह . . . . . माँ . . . . हाय मैं मर गई, सुनिता कमल की कमर का पकड़कर उसे उठाना चाह रही थी तो मैंने भाग कर सुनिता के दोनों हाथों का पकड़कर उसके सर के पास चिपका दिया ताकि कमल अपना पूर लंड सुनिता की चुत में उतार सके। कमल ने ऐसे ही 5 – 6 झटके ओर मार के अपना पूरा 11 इंच लंबा लंड सुनिता के चूत के अंदर पेल दिया था। सुनिता ने कमल के कूल्हों को अपनी टांगो से जकडकर उसे रोका लिया, कमल ने अपना पूरा मूसल सुनिता की चूत की गहराईयों में उतार दिया था। अब मैंने भी सुनिता के हाथों को छोड दिया था क्योंकि कमल का पूरा लंड जड़ तक सुनिता की चूत में दाखिल हो चुका था। सुनिता दर्द के मारे कराह रही थी लेकिन कुछ ही समय में उसका दर्द जाता रहा, अब वह कमल के कूल्हों को अपनी टाँगो से आजाद कर दिया था और कमल भी धीरे धीरे अपने आधे से ज्यादा लंड को बाहर निकाल कर एक ही झटके में पूरा सुनिता के चूत में उतार देता। कमल जब भी ऐसा करता तो सुनिता के मुँह से सिसकियां निकल जाती वह अनाप शनाब बड़ बड़ाने लगती –
सुनिता: हाय कमल, मार डाला रे जालिम, ऐसा लंड मैनें अपने जीवन में नहीं खाया है, आज मेरी चूत तेरे हवाले है, चोद दे इसको, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे, चोद मुझे ओर चोद . . . . आह . . . . ओह . . . . आईईईई . . . . . ओर जोर से मेरी जान . . . . . आईईईई और कमल भी सुनिता की चूत में हचक हचक कर लंड पेल रहा था। कमल की चुदाई से सुनिता को बहोत मजा आ रहा था। जब भी कमल अपना मूसल सुनिता की चूत में उतारता तो सुनिता भी नीचे से अपनी चूत को उठाकर उसके 11 इंच लंबे लंड को पूरे का पूरा अंदर ले लेती। जब भी कमल अपना पूरा लंड झटके से सुनिता की चूत में जड़ तक पेलता तो उसकी गाँड के दोनों ओर गड्डे पड जाते जिससे देखकर मुझे काफी आनंद आने लगा। इसी तरह कमल करीब 30 मीनट तक सुनिता की चूत का मंथन करता रहा पर उसके लंड से वीर्य नहीं निकला पर लग रहा था की वह थक गया था। सुनिता ने उसे नीचे उतारकर उसको अपने बराबर में लेटा दिया और खुद उसके लंड को चूसने लगी ताकि कमल को थोड़ी राहत मिले। जब सुनिता कमल के लंड को चाट रही थी तो मैंने सुनिता की चूत को गौर से देखा, सुनिता की चूत बिल्कुल फूल गई थी और उसकी चूत का मुँह काफी चोडा हो गया था।अब सुनिता वापस कमल के ऊपर चढ़ गई थी ओर उसके लंड को धीरे धीरे अपनी चूत में उतार लिया और तेजी से ऊपर नीचे होने लगी, मुझे यह देखकर ताज्जुब हुआ की कमल भी सुनिता का साथ दे रहा था और नीचे से सुनिता की चूत में झटके मार रहा था जिससे उसका पूरा मूसल उसके अंदर तक समा जाए। सुनिता ऐसे ही करीब 15 मिनट तक कमल की चुदाई करती रही, फिर कमल ने अचानक सुनिता को अपने बराबर में लेटा कर उस पर चढ गया ओर सुनिता के चूत में अपना लंड सैट करके जोरदार चुदाई करना शुरू कर दिया। इस बार कमल की स्पीड़ काफी ज्यादा थी, नारियल का तेल अपना कमाल दिखा रहा था और बिना किसी रोक टोक के कमल घचाघच सुनिता की चुदाई कर रहा था। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गुंज रही थीं। कमल और सुनिता इस कदर चुदाई में मशगुल हो गए थे की उन दोनों को कुछ भी पता नहीं था, मैंने कभी सुनिता को मेरे साथ इतनी उत्साह से चुदावते हुए कभी नहीं देखा था। सुनिता ने कमल के मुँह को अपने मुँह में दबा रखा था और दोनों के मुँह से केवल गूं गूं की आवाजें आ रही थी, ऊपर से गूं गूं की आवाज और नीचे से जोरदार फचाफच की आवाज। मैं अपने लंड को पकड़े पकड़े ही सब नजारा देख रहा था और झडने की कगार पर था। पर कमल और सुनिता मानो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने में लगे हुए थे, कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था पर मैं झड़ चुका था और मेरा लंड मुरझा गया था, लेकिन कमल का लंड 1 घंटे से ज्यादा सुनिता की चूत को चोद रहा था पर मजाल है की थोड़ा भी जोश कम हुआ हो ?
इसी तरह करीब 45 मीनट के बाद कमल ने रिरयाना शुरू कर दिया और मशीन की तरह दनादन ठुकाई करने लगा, मैं समझ गया था की अब कमल का वीर्य बाहर निकलने वाला है, सुनिता का शरीर भी अकडने लगा था और बैड शीट को अपनी मुठ्ठी में भरकर मछली की तरह तड़प रही थी और बड़बड़ा रही थी –
सुनिता: आह . . आह. . . ईइइइ. . . . ओ . . . . मेरी जान मेरी चूत में से कुछ निकल रहा है, ऐसा मजा मुझे कभी नहीं आया . . . ओह . . . आ . . . आ . . . ओर जोर से पेलो कमल . . . निकाल दो अपने लंड की गर्मी को मेरी चूत में . . . आ . . आ . . . । शादी के बाद से मैंने कभी भी सुनिता को झडतें हुए नहीं देखा था पर आज कमल की वहज से मुझे सुनिता को झड़ते हुए देखने का मौका मिल गया था।
कुछ ही देर में कमल के 11 इंच के लंड से पिचकारियाँ निकला शुरू हो गई जो करीब 2 से 3 मीनट तक सुनिता की चूत में निकलती रही, दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे। हर एक पिचकारी के साथ सुनिता कमल को पागलों की तरह चूमती और अपनी गांड को उठाकर उसकी हर एक पिचाकरी को अपनी चूत की गहराईयों में ले लेती। जब दोनों शांत हुए तो करीब 15 मिनट तक दोनों ऊपर नीचे लेटे लेटे ही एक दूसरे से चिपके रहे, दानों घमासान चुदाई के बाद थक गए थे। 15 मिनट के बाद सुनिता ने कमल के बालों में हाथ फेरा तो कमल भी उठ गया, उसने अपना लंड जैसे ही सुनिता की चूत से बाहर निकाला तो सुनिता की चूत से बेहद गाढ़ा और सफेद रंग का मिला जुला वीर्य बाहर निकलने लगा और काफी देर तक रूक रूक कर बहता रहा, मेरे अनुमान से एक गिलास भर जाए इतना वीर्य सुनिता की चूत से बाहर आ चुका था और अभी भी बूंद बूंद कर के वीर्य सुनिता की चूत से बह रहा था। ऐसा लग रहा था की कमल के जिन्दगी भर का वीर्य का संग्रह आज सुनिता की चूत में निकल गया था। कमल और सुनिता दोनों नंगे ही एक दूसरे के बगल में लेट गए, अब दोनों की साँसे भी काफी हद तक सामान्य हो गई थी।
मैं सुनिता के पास गया और सुनिता मुझे देखकर शर्माते हुए बोली की मैंने आपकी आज्ञा का पालन कर दिया, फिर मैंने सुनिता से पूछा की उसे कितना मजा आया तो उसने मेरा हाथ पकडकर चुमते हुए कहाँ की कमल की चुदाई से उसे काफी मजा आया और मुझे धन्यवाद देकर कहा की आपकी वजह से आज मुझे जन्नत के दर्शन हो गए। कमल अब आँखे बंद करके सो गया था और सुनिता भी थकान के कारण टूटकर चूर चूर हो गई थी और उसकी आँखे भारी हो रही थी। मैंने सुनिता के सिर को सहलाते हुए सोने को कहा तो वो मुझ से लिपटकर नग्न ही मेरे साथ सो गई और उसके बगल में कमल भी नग्न ही सो रहा था। कुछ देर बाद मैं उठकर पानी पीने चला गया और वापस आकर देखा तो सुनिता की चूत से अभी भी कमल के लंड की झडन निकल रही थी, मैंने तोलिया लेकर अच्छे से सुनिता की चूत को साफ किया। सुनिता की चूत अब काफी फैल चुकी थी और सूज भी रही थी। कमल के लंड पर हल्का लाल हो गया था और लंड के ऊपर वाली खाल भी सूज रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे आज इन दोनों की सुहागरात हो। फिर मैं भी चुपचाप से सुनिता के बगल में जाकर सो गया।सुबह करीब 6 बजे मेरी आँखे खुली और देखा की सुनिता और कमल वैसे ही सो रहे थे। मुझे पेशाब आ रहा था तो मैं उठकर पेशाब करने चला गया। वापस आकर देखा तो सुनिता भी उठ चुकी थी और मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी। मै समझ गया की रात की चुदाई की वजह से वह शरमा रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर कहाँ की पागल तुमने तो मेरी मर्जी से कमल से चुदवाया था फिर शर्माने की क्या जरूरत है ? इतना सुनते ही वह बडे प्यार से मुझसे गले से लगाया और बोला की कल रात को पहली बार उसकी चूत ने झड़ने का अनुभव किया था जो जीवन में उसने पहले कभी नहीं किया था। उसे झडनें से काफी खुशी हुई और उसने मुझसे कहा की अब से वह मेरे साथ संभोग करते समय हमेशा झड़ेगी। मैनें उसे चुमा और नहा धोकर नाश्ता बनाने के लिए कहा। सुनिता ने झटपट अपने कपडे पहने और कमल के पजामें को पहनाने लगी और पजामा पहना कर बाथरूम में चली गई।
नहा धोकर उसने चाय नाश्ता बना दिया तब तक मैं भी नहा कर तैयार हो गया था और कमल भी उठ चुका था। पर कमल के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। शायद उसे रात का वाक्या याद तक नहीं था। मैं और कमल नाश्ते की टैबल पर बैठे थे और सुनिता चाय नाश्ता लेकर मेरे पास आकर बैठ गई। हम तीनों ने नाश्ता किया और बातों बातों में सुनिता से पूछा की आज का क्या प्रोग्राम है तो सुनिता ने कहा की मैं किस प्रोग्राम की बात कर रहा हुँ तो मैं कमल की तरफ देखने लगा। सुनिता मेरा इशारा समझ गई और कहा की आपकी बात मैंने मान ली ओर आज के बाद आप ऐसा करने को नहीं कहोगे। मैं भी चुपचाप हो गया पर मुझे इतना समझ आ गया था की सुनिता शायद दोबारा मेरे सामने कमल से चुदवाने से कतरा रही है। फिर मैंने एक प्लान बनाया, मैंने सुनिता को कहा की आज मैं शहर जा रहा हुँ किसी काम से अगर उसे कुछ मँगवाना हो तो बता दे। सुनिता ने कुछ सामान बता दिया और मैं तैयार होकर जाने को निकल पड़ा, पर जाने से पहले मैंने हमारे घर के पीछे का दरवाजा अंदर से खोल दिया था ताकि मैं पीछे से आकर देख सकूं की सच्चाई क्या है ?
मैंने अपनी मोटर साइकिल निकाली और सुनिता को कहा की अपना ध्यान रखे और शाम तक मैं वापस आ जाउँगा। उसने मुझसे कहा की घर पहुँचने से पहले फोन कर देना ताकि मैं आपके लिए गर्मा गरम खाना बनाकर तैयार रखुँगी। मैं समझ गया था की वो मुझे फोन करके आने को क्यों कह रही थी।
मै अपनी मोटर साईकिल लेकर चला गया और अपने एक दोस्त की दुकान पर जाकर बैठ गया। आधा घंटा रूकने के बाद मैं अपनी मोटरसाईकिल लेकर वापस घर की तरफ रवाना हो गया और बाईक को घर से थोड़ा दूर ही खड़ा करके घर के पीछे के दरवाजे की और बढ़ने लगा। मैंने देखा की घर का मुख्य दरवाजा बंद था जो हमेशा खुला रहता था। मुझे थोड़ा शक हुआ। घर के पीछे के दरवाजे से मैंने अंदर का नजारा देखना चाहा तो मुझे कोई नहीं दिखा, मैं चुपचाप दरवाजा अंदर से बंद करके आगे बढनें लगा। मुझे बाथरूम में से सुनिता की आवाज सुनाई पड़ी। वह कमल को नहलाते हुए उसके झांटों को रेजर से साफ कर रही थी और काफी खुश लग रही थी। वह कमल से गंदी बातें कर रही थी –
सुनिता: कल रात क्या चोदा था तुने मुझे, मैं तो तेरे लंड की दिवानी हो गई हुँ कमल, आज हम दोनों अकेले हैं और आज हम दिनभर जी भर कर चुदाई करेंगे। कल रात को चोद चोद कर तुने मेरी चूत का भरता बना दिया, आज देखती हुँ की तेरे लौडे में कितना दम है, आज तेरे लंड की सारी गर्मी बुझा दूंगी।
यह सुनकर मेरा शक यकिन में बदल गया और मैं चुपचाप पीछे वाले दरवाले के बगल वाले कमरे चला गया जहाँ कोई नहीं आता था। मैं नहीं चाहता था की मेरी वजह से दोनों की मस्ती में कोई खलल हो। थोड़ी देर बाद मुझे वापस सुनिता की मादक आवाजें सुनाई दी, मैंने चुपके से अंदर जाकर देखा तो वह आवाज कमल के कमरे से आ रही थी जहाँ पिछली रात कमल और सुनिता ने दंगल लड़ा था। कमरे के बगल में खिडकी थी और मैं खिड़की से साफ देख पा रहा था की सुनिता कमल को नंगा करके उसके लंड का रसपान कर रही थी और खुद के भी सारे कपडे़ उतारे हुए थे। थोडी ही देर में कमल के लंड ने विकराल रूप धारण कर लिया था पर सुनिता कमल से अपनी चुत को पहले चटवाना चाहती थी। सुनिता पंगल के किनारे बैठ कर अपनी टांगे फैला दी और उसने कमल को अपनी चुत दिखाते हुए उसे चाटने का इशारा किया तो कमल भी तुरन्त चुत को चाटने लगा पर कमल चुत चाटने का कलाकार नहीं था वह सुनिता की चुत को ऊपर ही ऊपर चाट रहा था जो सुनिता को बिल्कुल मंजूर नहीं था। सुनिता फटाफट किचन में गई और चोकलेट पेस्ट का डिब्बा उठा कर ले आई। कमल को चोकलेट बहुत पंसद थी, सुनिता ने अपनी चुत पर काफी सारी चोकलेट लगा दी और ऊँगीलियों की सहायता से चोकलेट को चूत के अंदर भी डाल दिया। अब सुनिता की चूत पर और अंदर काफी सारी चाॅकलेट थी। उसने दोबारा कमल को चूत चाटने को कहा और अब कमल सुनिता की चूत को जोर जोर से चाट रहा था। चूत के अंदर लम्बी जीभ चलाकर अंदर की चोकलेट का भी आनंद ले रहा था और सुनिता अपने दोनों हाथ पीछे करके चूत को चटवाने का मजा ले रही थी। कमल ने करीब आधे घण्टे तक सुनिता की चूत को चाटा और बिल्कुल साफ कर दिया। सुनिता की चुत लगातार पानी छोड़ रही थी जो मेरे लिए आश्चर्य की बात थी क्योंकि मैंने कभी भी सुनिता की चूत को पानी छोडते हुए नहीं देखा था। अब सुनिता ने उसी मुद्रा में कमल के 11 इंच लंबे और 4.5 इंच मोटे लंड को पकडकर अपनी चुते के दरवाजे पर लगा दिया। कमल अब समझ चुका था की उसे क्या करना है। उसके सुनिता की चूत में दबाव देते हुए लंड के सुपाडे को चूत में दाखिल करवा दिया। सुपाडे के अंदर जाते ही सुनिता के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई।
सुनिता: मेरी जान धीरे धीरे चोदो, जब तक मेरे घर में हो तब तक यह चूत तुम्हारी है और जमकर इसके मजे लो।
पर कमल सुनिता को देखकर उसकी बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही कमल ने अगला झटका मारा तो करीब 5 इंच लंड सुनिता की चूत में चला गया जिससे सुनिता को काफी दर्द हुआ और उसने कमल को धक्का देकर उससे अपने से दूर कर लिया। कमल को ये हरकत बिल्कूल पसंद नहीं आई और सुनिता को धक्का देकर उसे पलंग पर पटक दिया। सुनिता की टाँगे अभी भी खुली हुई थी, सुनिता को कुछ समझ आता इससे पहले ही कमल सुनिता की जांघो के बीच में आकर अपने लंड को सुनिता की चूत पर टिका कर निशाना लगा चुका था। सुनिता जैसे ही उठने लगी तो कमल ने उसे दोबारा पटक दिया और लंड के सुपाडे को एक झटके में सुनिता की चूत में फिर से दाखिल करवा दिया जिससे सुनिता की फिर से चीख निकल पड़ी। सुनिता कमल को खुद पर से हटाने कि नाकाम कोशिश करने लगी लेकिन कमल की ताकत के आगे वह बेबसे थी। कमल अब सुनिता के दोनो हाथों को पकडकर पलंग से चिपका दिया था और सुनिता बेबस होकर तडप रही थी। कमल ने अब अपने लंड का वार सुनिता पर शुरू कर दिया था और दनादन जोर जोर से खडे खडे ही सुनिता की चूत में ठोकर मार रहा था और सुनिता लगातार चिल्ला रही थी।
सुनिता: मादरचोद हट मेरे ऊपर से, मेरे प्यार का तुने यह सिला दिया है। आ . . . . मर गई . . . . मेरी चुत . . . में बहोत . . . दर्द . . . आ . . आईईई . . .
पर कमल कहाँ सुनने वाला था कमल तो दनादन झटके पर झटके दिए जा रहा था। कमल का करीब 8 इंच लंड सुनिता की चुत में जा चुका था और वह अभी भी लगातार जोर जोर से झटके दिए जा रहा था। हर एक झटके के साथ सुनिता की चूत की खाल कमल के लंड के साथ अंदर बाहर हो रही थी, खासकर जब कमल अपना लंड बाहर निकालता तो सुनिता की चूत की लाल परत कमल के लंड के साथ बाहर की तरफ आ जाती। एक बार तो मेरा मन हुआ की जाकर सुनिता की सहायता करूं पर मैंने ऐसा नहीं किया। मुझे सुनिता को इस हाल में देखने सें काफी मजा आ रहा था।
सुनिता: आ . . . आईईई . . . . मेरी चूत . . . . में . . . से . . . अपना लंड निकाल लो . . . . हाय राम बहोत . . . दर्द . . . . . ई ई ई . . हो रहा है . . . मर गई . . . .ई ई ई।
कमल अब लगभग सुनिता की चूत की चटनी बना रहा था और 6 – 7 झटकों में अपना पूरा लंड जड़ तक सुनिता की चूत में उतार चूका था। एकदम से सुनिता की चूत से काफी सारा गाढा पदार्थ बाहर आने लगा, मुझे लगा की शायद कमल झड़ गया होगा पर यह झड़न तो सुनिता की चूत की थी। जैसे कमल ने वापस झटके मारने शुरू किया जो सुनिता के चूत के पानी से अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था। सुनिता ने अब चिल्लाना बंद कर दिया था और मजे से लंड को अपने अंदर ले रही थी। यह देखकर मुझे अजीब लगा क्योंकि कुछ देर पहले कमल सुनिता के साथ जबरदस्ती कर रहा था और सुनिता अब आँखे मूंद कर कमल के झटकों का जबाव अपनी चूत उठाकर दे रही थी। कमल ने सुनिता को हाथों का छोड कर उसकी जांघों को पकडकर झटके देना शुरू कर दिया। सुनिता ने आँखे खोली और कमल की और प्यार से देखने लगी। सुनिता अब वापस अपने हाथ को पीछे सहारा देकर बैठ गई और कमल के लंड को सटासट अंदर बाहर होते हुए देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी। सुनिता ने कमल को अपने होठ चुसने का इशारा किया तो कमल ने सुनिता की जांघो का छोड़कर फटाफट उसका चेहरा पकडकर उसके होठों को चुमना शुरू कर दिया और अब उसके लंड की ठोकरे पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थी। 5 मिनट के चुंबन के बाद कमल ने फिर से सुनिता की जांघो को पकडकर जोर जोर से चुदाई करने लगा और सुनिता बडे प्यास से कमल के लंड को अपनी चूता का भरता बनाते हुए देख रही थी। आधे घंटे बाद कमल खडे खडे चोदकर थक चुका था और उसकी रफतार भी कम हो गई थी।
सुनिता ने बडे प्यास से कमल को अपने से दूर करके उसका पंलग पर आने का न्यौता दिया, कमल तुरंत आकर सुनिता के बराबर में लेट गया। सुनिता ने कमल के लंड को लोलीपोप की तरह चाटना शुरू कर दिया। 10 मिनट चाटने के बाद कमल वापस जोश में आ गया और सुनिता को पीठ के बल लेटा कर उस पर सवार हो गया। सुनिता ने अपनी टांगे फैलाकर कमल के लंड के लिए अपनी चूत के दरवाजे खोल दिए थे। कमल ने अपना लंड सुनिता की चुत पर रखकर दनादना फिर से पेलना शुरू कर दिया था। सुनिता अपने हाथों से अपना मुँह बंद करके केवल गूं गूं की आवाजें निकाल रही थी, शायद उसे दर्द हो रहा था। 2 मिनट की बाद गूं गूं की जगह मादक सिसकियों ने ले ली थी।
सुनिता: ओर जोर से मेरी जान, जितनी जोर से ठोक सकता है ठोको मेरी चूत को, तुम्हारे लंड से मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही है। सारा दिन सारी रात मुझे इसी तरह पेलते रहो मेरी चूत के राजा। आ . . . आ . . . . . सी सी सी सी ओर जोर से . . . . . आह आह आह . . . . ओर जोर से।
जैसे जैसे सुनिता के मुँह से सिसकियां निकलती तो कमल भी उत्तेजित होकर अपनी रफतार बढ़ा देता। कमल का शरीर अब अकडने लगा था और झडने के करीब था पर सुनिता अभी भी मस्ती से चुदवा रही थी। 10 – 12 झटकों के साथ कमल सुनिता की चूत के अंदर झडनें लगा। सुनिता कमल से ओर चुदवाना चाहती थी पर कमल अब सुस्त हो चुका था। कुछ देर सुनिता कमल को अपने ऊपर लेटा कर उसके बालों को सहलाती रही, पर मुझे सुनिता के चेहरे पर संतुष्टि के भाव नहीं दिख रहे थे, ऐसा लग रहा था की सुनिता कमल से ओर भी देर तक चुदवाना चाहती थी। 10 मिनट के बाद उठकर उसने बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और वापस आकर कमल को कपडे पहनाकर तैयार कर दिया।
सुनिता: आधा घंटा और मेरी चूत मार लेते तो तुम्हारे लंड का क्या बिगड़ जाता। मेरा मन नहीं भरा अभी चुदाई से, मुझे सारा दिन तुम्हारे लंड से चुदना है और बार बार झडते रहना है।
पर कमल सुनिता की बातों को नहीं समझ पा रहा था और लगातार सुनिता की ओर देखे जा रहा था।
सुनिता अब रसोई घर में जाकर खाना बनाने लगी और मैं दबें पाँव पीछे के दरवाजे से बाहर चला गया। मुझे भी अफसोस हो रहा था कि सुनिता कमल की चुदाई से संतुष्ट नहीं हुई। 15 मिनट बादं मैंने सुनिता को फोन करके बताया की मै 15 मिनट में आ रहा हुँ क्योंकि शहर में जिससे मिलना था आज वो कहीं बाहर गया हुआ है। सुनिता ने कहा की आप आ जाइए मैं गर्मागर्म खाना तैयार कर देती हुँ। थोडी देर इधर उधर टहलकर मैं वापस घर आ गया। सुनिता का मूड मुझे कुछ खराब लग रहा था, मैं जानता था की सुनिता का मूड क्यों खराब है पर मैनें सुनिता को ऐसे ही पूछ लिया कि क्या हुआ तो उसने कहा कुछ नहीं कल रात की वजह से शरीर टूट रहा है। मैंने कहा की मैं तुम्हारे लिए दवाई ले आता हुँ तो उसने कहा की पहले खाना खा लो फिर देखेंगे। हम सब ने खाना खा कर थोड़ी देर सुस्ताने के लिए अपने अपने कमरों में चले गए। शाम को करीब चार बजे सुनिता उठ गई और मुझे भी जगा दिया और चाय के बारे में पूछा, मैने भी कह दिया की चाय बना लो क्योंकि चाय का समय भी हो रहा है। चाय नाश्ता करके मैनें सुनिता को कहा की मैं बाजार जाकर तुम्हारे लिए दवाई ले आता हुँ तो सुनिता ने कहा रहने दीजिए दर्द कम हो जाएगा, पर मैं नहीं माना और बाजार चला गया। दवाई की दुकान पर जाकर मैंने कुछ पैन किलर लिए और एकदम से मेरी नजस वायग्रा पर पड़ी और मुझे सुनिता के मूड को सही करने का रास्ता नजर आ गया। मैनें वायग्रा की चार गोलियाँ खरीद ली और दुकानदार ने हिदायत दी की सिर्फ एक ही गोली लेना अगर गलती से दो ले ली तो सारी रात परेशान होना पडेगा क्योंकि वायग्रा हाई पावर की थी। मैंने भी मुस्कुराकर हाँ में जवाब दे दिया।
घर आकर मैंने सुनिता को पैन किलर दे दिया जिसको उसने पानी के साथ ले लिया और शाम के खाने की तैयारी करने लगी। मुझे इतना तो समझ आ गया था की सुनिता मेरे सामने तो कमल से चुदेगी नहीं तो कोई और उपाय करना पडेगा। मैने सुनिता शाम का 6 बजे के करीब सुनिता को कहा की आज रात मुझे अपने एक दोस्त के घर जाना है और रात को पार्टी का भी प्रोग्राम है तो सुनिता ने पूछा की रात को कितने बजे तक वापस आओगे तो मैंने कहा की करीब 10 बजे तक वापस आ जाऊँगा। सुनिता ने कहा की ठीक है जब आप वापस आएंगे तभी हम लोग खाना खाएंगे। मैने कहा ठीक है और शाम के साढे़ सात बजे में अपनी बाईक लेकर ठेके पर आ गया और एक क्वाटर खरीद लिया। दोस्त की यहां पार्टी का तो बहाना था बस मुझे रात को ड्रामा करना था की मैंने शराब पी रखी है ताकी सुनिता को रात में कमल से चुदाई करवाने में दिक्कत न हों क्योकि जिस दिन में शराब पी लेता हुँ उस रात मैं घोडे बेचकर सोता हुँ और इस बात से सुनिता भली भाँती वाकिफ थी। मैने क्वाटर का एक घूँट मारा और थोड़ा बहुत अपने कपडों में छिडक लिया ताकि सुनिता को विश्वास हो जाए की मे पूरी तरह से टल्ली हुँ।करीब पौने दस बजे में घर पहुँच गया और घर के मुख्य दरवाजे से इस तरह प्रवेश किया जैसे आज मैंने बहोत ज्यादा पी रखी हो। मैं जानबूझ कर लडखडा रहा था। सुनिता ने मेरे पास आकर मुझे संभाला और कहा की इतनी शराब पीने की क्या जरूरत थी। मैंने सुनिता की बात का जवाब नहीं दिया तो सुनिता को लगा की मैंने काफी ज्यादा पी रखी है। उसने मेरे जूतो को खोल कर मेरे हाथ पांवों पर पानी डालकर साफ किया और मुझे टेबल पर बैठाकर रसोई में खाना लेने चली गई। कमल भी जाग रहा था और शायद दानों ने खाना नहीं खाया था। हम सब ने साथ में बैठकर खाना खाया और सुनिता खाने के बर्तनों का रसोई मंे रखने चली गई। मै अब सोच रहा था कि कमल को कैसे वायग्रा खिलाऊँ ताकि सुनिता का शक न हो। सुनिता हमेशा कमल को दूध पिलाकर सुलाया करती क्योंकि मैनेजर साहब ने कहा हुआ था। थोड़ी देर में सुनिता कमल के लिए एक गिलास में दूध लेकर आई और कमल को हाथ में गिलास देकर पीने को इशारा कर दिया। दूध थोड़ा गर्म था तो कमल आहिस्ता आहिस्ता पी रहा था और सुनिता भी पास में बैठ कर मुझे सोने को कह रही थी। मैंने इशारे से सुनिता को एक गिलास पानी पिलाने को कहा तो सुनिता मेरे लिए पानी लेने रसाईघर में चली गई। मैंने मौका पाकर दो वायग्रा की गोली कमल के दूध के गिलास में डाल दी। दूध गर्म होने की वजह से दोनों गोलियां तुरंत घुल गई। कमल को कुछ भी समझ नहीं आया की मैंने उसके गिलास में क्या डाला है। सुनिता मेरे लिए गिलास में पानी लेकर आ गई और मैं पानी पीकर अपने कमरे में सोने चला गया। हमारे कमरे और कमल के कमरें में एक कोमान बाथरूम था जिसके दो दरवाजे दोनों कमरों में खुलते थे। मैं लडखडाने की एक्टींग करते हुए अपने कमरे की तरफ बढने लगा तो सुनिता ने मुझे सहारा देकर हमारे बैड पर सुला दिया और कहा की वह 10 मिनट में रसोई में जाकर बर्तन साफ करने वापस आ रही है। मैंने उसकी बातों को नंजरअंदाज करते हुए सोने का नाटक करने लगा। जैसे ही सुनिता रसाई में बर्तन साफ कर रही थी मैं चुपेक से उठकर कमल के कमरें में चला गया और बाथरूम की कड़ी खोलकर उसको अंदर से बंद कर लिया और दुसरे दरवाजे से मैं अपने कमरे में आकर सो गया। थोड़ी देर बाद सुनिता कमरे में आई और अपने कपड़े खोलकर नाईटी पहन कर मेरे पास आई और दो तीन बार मुझे जगाने का प्रयास किया पर मैं हिला तक नहीं। सुनिता समझ गई थी की मैं अब गहरी नींद में हुँ और सुबह ही उठुँगा। सुनिता थोड़ी देर इधर उधर टहलकर कमरे की लाईट बुझा कर कमल के कमरे में चली गई और बाहर से मेरे कमरे की कुंडी लगा दी। हमारे और कमल के कमरे के बीच में एक खिड़की थी जो अक्सर बंद रहती थी, पर खिड़की की दरारें इतनी बडी थी की एक दूससे के कमरों को आराम से देखा जा सकता था और मैनें पहले ही बाथरूम को अनलोक किया हुआ था ताकि मैं चुदाई का पूरा प्रसारण देख सकूँ। मेरे कमरे की बत्ती बंद होने की वजह से सुनिता मुझे खिडकी में से ताडते हुए नहीं देख सकती थी पर मैं सारा नजारा देख सकता था। अब मैं आपको बताता हुँ की सुनिता ने कमल के कमरे में जाकर क्या किया।
सुनिता: मेरी जान आज दिन में तुम जल्दी जड़ गए थे जो मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा, अभी तक मेरी चूत गर्म है तुम्हारे लंड की ठोकर खाने के लिए, आज रात भर जैसे चाहे मुझे चोदते रहना, मैं भले ही 100 बार झड़ जाउँ पर आज रात तुम मत झड़ना वरना मैं तुमसे कभी नहीं चुदवाऊँगी।
इतना कहकर सुनिता कमल के कपड़े उतारने लगी और खुद भी नंगी हो गई। कमल को लंड काफी बड़ा हो गया था शायद वायग्रा का असर था। उसका लंड काफी विकराल लग रहा था, शायद 12 इंच से भी ज्यादा और मोटाई भी 5 इंच से ज्यादा लग रही थी। सुनिता ने कमल के लंड को देखा तो देखती ही रह गई और सोच में पड़ गई की अभी तो लंड की चुसाई भी नहीं हुई और यह तो और ज्यादा विकराल हो गया है। ऐसा लग रहा था की जैसे कमल के लंड की जगह किसी गधे का लंड लटक रहा हो। सुनिता कमल को पीठ के बल लेटाकर उसके लंड को चाटने लगी पर इस बार उसके लंड का सुपाडा उसके मुँह में नहीं जा रहा था और कमल जोर जोर से सिसकियां भर रहा था। करीब 20 मिनट तक सुनिता कमल के लंड को चाटती रही और कमल का लंड और भी ज्यादा बड़ा और मोटा होने लगा था। सुनिता ने सोचा कि इतना बड़ा लंड लेने से पहले उसे अपनी चूत में तेल डालना पडेगा वर्ना यह विकराल लंड उसकी जान ले लेगा। क्योंकि अगर कमल को एक बार चूत ने न्यौता दे दिया तो कमल किसी के बाप से भी नहीं रूकने वाला। उसने तेल की शीशी उठाई और तेल निकालकर अपनी चुत पर मलने लगी और ऊँगलियों की सहायता से चूत के अंदर भी तेल डालने लगी और चूत के मुँह को चोडा करने लगी। काफी सारा तेल हाथ में लेकर उसने कमल के लंड की भी मालिश कर दी और लंड तेल में गच कर दिया, जब भी सुनिता कमल के लंड को छुती तो कमल जोर जोर से सिसकिया भरने लगाता। मैंने भी मौका देखकर बाथरूम में जाकर कमल के कमरे का दरवाजा थोडा सा खोल कर मस्त आनंद लेने लगा।
सुनिता अब पलंग पर पीठ के बल लेट गई और अपनी टांगे ऊपर की तरफ उठाकर चुत के बीच में तेल की शीशी को डालकर उसे दबाने लगी। सुनिता ने अपनी चूत को तेल से पूरी तरह से भर लिया था ओर जब तेल चूत के बाहर निकलने लगा तो उसने तेल की शीशी को साइड में रख दिया और कमल को चुदाई के लिए न्यौता दे दिया ओर अपनी टांगो की हवा में ऊपर की तरफ उठाए रखा ताकि चूत में से तेल बाहर न निकल जाए। कमल फटाफट बिना देर किए सुनिता के ऊपर चढ़ गया और उसका विकराल लंड सुनिता कि चूत के ऊपर रख दिया ओर एक हलकें झटके से अपने लंड का सुपाडा अंदर कर दिया। जैसे ही लंड का सुपाडा सुनिता की चुत में घुसा तो एक जोरदार पक की आवाज के साथ कमल का मूसल सुनिता की चूत में घुस गया और सुनिता के मुँह से आह निकल गई तो ऐसा लगा जैसे किसी ने सोडा बोतल का ढक्कन खोला हो। कमल धीरे धीरे सुनिता की चूत में अपना लंड प्रविष्ट कर रहा था। काफि मात्रा में तेल लगे होने की वजह से लंड धीरे धीरे सरकता हुआ सुनिता की गहराईयों को नाप रहा था। कमल का करीब 6 इंच लंड सुनिता की चूत में जा चुका था और सुनिता अपने सर को पीछे की ओर उठाकर दर्द को बर्दाश्स्त करने की कोशिश कर रही थी। कमल ने अब अपने लंड पर दबाव बढ़ा दिया था जिससे सुनिता को ओर ज्यादा दर्द हो रहा था पर सुनिता भी जानती थी कि इस वहशी को नहीं रोका जा सकता। कमल का लंड अब 9 इंच तक सुनिता की चूत में जा चुका था और अब वह धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर कर रहा था और लंड हर झटके के साथ और अंदर जा रहा था। करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद लंड अब जड़ तक समा चुका था और काफी सारा तेल सुनिता की चूत से बाहर रीस रहा था। तेल के साथ – साथ सुनिता की चूत से गाढ़ा सफेद पदार्थ भी निकल रहा था जो सुनिता का ही वीर्य था। वो झड़ चुकी थी और सुनिता का दर्द भी गायब हो चुका था। सुनिता ने कमल की कमर को पकडकर जोर जोर से ओग पीछे करना शुरू कर दिया तो कमल भी अपने पूरे जोश से लंड को अंदर बाहर करने लग गया। कमल जितनी जोर से ठोकरें मारता उतने ही उत्साह से सुनिता नीचे से अपने चुतड़ उठाते हुए उसका साथ देती। पूरे कमरे में बहोत जोर से फच . . . फच . . . फच . . . फच . . . की आवाज गूंज रही थी और सुनिता के मुँह से भी आह . . . आह . . . ओर . . . जोर से . . . मेरे राजा . . . ओर तेज . . . फाड दे मेरी . . . चूउउउउत . . . को की आवाजों से कमल को ओर ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। इसी मुद्रा ने सुनिता को करीब 45 मिनट तक चुदाई की पर झड़ा नहीं जिससे सुनिता भी काफी खुश लग रही थी पर दोनों बहोत थक गए थे तो सुनिता ने प्यार से कमल को अपने ऊपर से नीचे उतारा तो कमल भी नीचे उतर गया। कमल का लंड अभी भी पूरे 12 से 13 इंच लंबा लग रहा था। सुनिता एकाएक उठकर मेरे कमरे की तरफ आई तो मैं भी चुपके से अपने बिस्तर पर जाकर सो गया। सुनिता ने दरवाजा खोला ओर मेरी तरफ देखा, मुझे सोता हुआ देखकर उसे संतुष्टी हो गई और अलमारी में से कुछ निकाल कर ले गई। मेरी समझ में नहीं आया की आखिर उसने अलमारी में से क्या निकाला। सुनिता ने वापस जाते हुए दरवाजा बंद कर दिया। जब मैंने खिडकी में से देखा तो उसके हाथ में कामासूत्र की एक डीवीडी थी जो मैं एक साल पहले लाया था जिसमें कई तरह के आसनों में चुदाई के वीडियों थे। मेरी समझ में नहीं आया की सुनिता क्या करना चाहती है।
सुनिता ने कमल के कमरे में डीवीडी चला कर कमल के पास बैठ गई और रिमोट अपने हाथों में ले लिया। कामासूत्र की वीडियों में एक लड़का एक लड़की को खडे खडे चोद रहा था, तो सुनिता भी उसी आसान में खड़ी हो गई कमल भी वीडियो देखकर समझ गया की उसकी पोजीशन क्या होगी। जैसे जैसे मूवी में वह लड़का और लड़की चुदाई कर रहे थे वैसे ही सुनिता और कमल लगे हुए थे। अगले वीडियो में घोडी वाला आसन था तो सुनिता घोडी बन गई और कमल घोडे़ की तरह पीछे से चुदाई करने लगा। अगले आसन में लड़का लड़की को अपनी गोद में उठाकर चोद रहा था तो कमल ने भी सुनिता को गोद में उठाकर ऐसे ही चोदना शुरू कर दिया। ऐसा करते करते उन्होंने पूरे कमरे में इधर उधर घूम घमू कर आसन बना बना कर चुदाई करते रहे, हर आसान को करीब 20 से 30 मीनट तक करते रहे और मै देख देखकर खूब खुश हो रहा था। एक आसान में लड़की पेट के बल लेटकर चुतडों के नीचे तकिया लगाकर पीछे से चुदावा रही थी, इस बार कमल ने सुनिता को गोद में उठाकर बिस्तर पर पेट के बल लेटा दिया और चुतडों के बीच तकिया रख दिया जैसे की वीडियों में दिख रहा था और उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया, इस मुद्रा में दोनों ने करीब 40 मिनट तक चुदाई की पर दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। सुनिता कम से कम 20 से 22 बार झड चुकी थी। वह अब काफी थक चूकी थी पर चुदाई की संतुष्टी से उसका चेहरा खिल रही थी। अंत में मूवी खत्म हो गई पर कमल नहीं झड़ा था ओर उसका विकराल लंड अभी भी सुनिता की चूत को ठोकरे मार रहा था। अंत में सुनिता ने कमल को अपने ऊपर चढ़ा कर चुदाई करवाना शुरू कर दिया। कमल फिर से राजधानी की रफतार से सुनिता की चूत का मंथन करने लग गया और करीब 30 मिनट के बाद दोनों के शरीर अकडने लगे और बहतो तेजी से हाँफने लगे पर चुदाई की गति में कोई कमी नहीं थी। 20 – 22 झटकों के साथ दानों सिसकियां लेते हुए झडनें लगे और आधे घण्टे तक सुनिता ने कमल को अपने ऊपर सुलाए रखा और उसकी पीठ और सर को बारी बारी से सहलाती रही। रात के करीब 2 बज चुके थे। कमल का लंड अभी भी करीब 9 इंच का था पर वह अब ढीला पड़ चुका था।
सुनिता ने कमल को अपने ऊपर से उतारा और खुद अपनी टाँगो को फैला कर सुस्ताने लगी। सुनिता की चूत अब सच में भोसड़ा बन चुकी थी पर वही काफी खुश नजर आ रही थी। थोड़ी देर में कमल सो गया और सुनिता वापस मेरे पास आकर मेरे बगल में सो गई। मैं भी चुपचाप सो गया ओर मैं भी बहोत खुश था क्योंकि सुनिता अब पूरी तरह से चुदाई से संतुष्ट हो चुकी थी।
रात को करीब साढे 2.30 बजे मेरी नींद खुली मुझे कुछ आहटें सुनाई दे रही थीं। मैंने देखा की सुनिता मेरे पास नहीं है और दरवाजा भी बाहर से बंद है, मैनें भाग कर खिडकी की दरारों में से झांका तो मैनें देखा की कमल सुनिता को घोडी बनाकर दनादन पेले जा रहा था, उसका लंड वापस 12 इंच लंबा हो गया था, शायद दवाई का असर अभी खत्म नहीं हुआ था। सुनिता भी पीछे से धक्कों का जबाव दे रही थी। कमल सारे आसन सीख चुका था और हर 20 से 25 मिनट में आसन बदल बदल कर सुनिता को जमकर चोद रहा था। सुनिता कमल के हर आसन में उसका पूरा पूरा साथ दे रही थी। मुझे नींद आ रही थी पर मैं इस मनमोहक दुश्य को देखे बिना भी नहीं रह सकता था। सुबह के करीब 5.45 बजे तक दोनों जम कर एक दूसरे के साथ चुदाई का पूर्ण आनंद ले रहे थे और अंत में कमल ने सुनिता को फर्श पर चटाई के ऊपर सुलाकर उसकी टांगो की अपने कंधों पर रखकर दनादन 30 मिनट तक चोदते हुए अपना वीर्य उसकी चूत में उडेल दिया। दोनों के चेहरों पर संतुष्टी का भाव स्पष्ट नजर आ रहा था। फिर मै सो गया और सुनिता भी मेरे पास आकर ओंधे मुँह सो गई।