मैं अपनी मां के साथ कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर गया हुआ था जब मैं अपने मामा जी के घर गया तो हम लोग कुछ दिनों तक उनके घर पर ही रुकने वाले थे। मेरे ग्रेजुएशन का यह आखिरी वर्ष है और जब मैं मामाजी के घर गया तो उन्हीं के पड़ोस में रहने वाली एक लड़की जिसका नाम शांति है उससे जब मैं मिला तो मुझे शांति से बात करना अच्छा लगने लगा। शांति मामा जी के घर पर अक्सर आया करती है और उसी बीच मैंने शांति का नंबर भी ले लिया लेकिन अब मां और मैं वापस लखनऊ लौट आए थे। शांति और मेरी फोन पर ही बातें होती रहती थी हम दोनों फोन पर घंटों बात किया करते थे। कुछ ही समय मे मेरा ग्रेजुएशन भी पूरा हो चुका था मेरा ग्रेजुएशन पूरा हो जाने के बाद मैं पापा के साथ उनके बिजनेस में हाथ बंटाने लगा था। पापा का प्लास्टिक का बिजनेस है और मैं उन्ही के साथ काम करने लगा था। पापा और मैं एक दिन साथ में घर लौट रहे थे उस दिन पापा ने कहा कि बेटा तुम काम की बारीकियों सीखो क्योंकि और मैं चाहता हूं कि तुम ही अब काम संभालो।
मैंने पापा से कहा कि ठीक है पापा मैं पूरी तरीके से काम संभाल लूंगा और अब मैंने पूरी तरीके से काम संभाल लिया था। मैं काम में कुछ ज्यादा ही बिजी होने लगा था जिस वजह से मुझे शांति से फोन पर बात करने का कम ही समय मिल पाता था लेकिन उसके बावजूद भी हम लोग थोड़ा बहुत एक दूसरे से बात करने के लिए समय निकाल ही लेते थे। एक दिन शांति और मैं फोन पर बात कर रहे थे तो उस दिन मां कमरे में आई और कहने लगी कि अविनाश बेटा तुम फोन पर किससे बात कर रहे हो। मैंने उस दिन मां को सारी बात बताई और जब मैंने मां को शांति के बारे में बताया तो कहीं ना कहीं मां भी इस बात से काफी खुश थी। शांति का परिवार मामा जी के घर के पड़ोस में ही रहता था इसलिए मां ने यह जिम्मा मामा जी को सौंप दिया था। मामा जी ने भी शांति के पापा से इस बारे में बात कर ली थी और जब उन्होंने शांति के पापा से इस बारे में बात की तो वह लोग चाहते थे कि हम लोगों उनसे मिलने के लिए उनके घर पर आए। हम लोग उनसे मिलने के लिए उनके घर पर चले गए क्योंकि मामाजी के पड़ोस में ही शांति का परिवार रहता था इसलिए मामा जी भी हमारे साथ आए हुए थे।
पापा और मम्मी को शांति तो पसंद आ चुकी थी और शांति के परिवार वालो ने भी मुझे पसंद कर लिया था अब हम लोगों की शादी कराने के लिए सब लोग तैयार हो चुके थे। हम लोगों की शादी का दिन जल्द ही तय हो गया औऱ हम लोगों की सगाई हो जाने के कुछ समय बाद ही हम दोनों की शादी हो गई। जब हम लोगों की शादी हुई तो हम लोग एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश थे मैं शांति के साथ बहुत ही खुश था और शांति भी मेरा ध्यान अच्छे से ध्यान रखा करती। मैं अपने काम के सिलसिले में ज्यादातर घर से बाहर ही रहा करता था इसलिए मैं शांति को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था। शांति को मुझसे हमेशा ही शिकायत रहती कि मैं उसे समय नहीं दे पाता हूं और शायद इसीलिए एक दिन शांति ने मुझसे कहा कि अविनाश मुझे आपसे कुछ बात करनी है। मैंने शांति से कहा कि हां शांति कहो ना तुम्हें मुझसे क्या बात करनी है उस दिन शांति ने मुझे कहा कि वह कुछ दिनों के लिए अपने पापा मम्मी से मिलने के लिए जाना चाहती है। वह कुछ दिनों के लिए अपने पापा और मम्मी से मिलने के लिए चली गई मैंने भी शांति को रोका नहीं क्योंकि मुझे पता था कि शांति को मैं समय नहीं दे पा रहा हूं और कहीं ना कहीं शांति के मन में यह बात तो है ही इसलिए मैं चाहता था कि वह अपने पापा और मम्मी से मिलने जाए जिससे कि उसका मन हल्का हो जाए। शांति अपने पापा और मम्मी से मिलने के लिए चली गई जब शांति अपने पापा मम्मी से मिलने के लिए गई तो उसके बाद मैं भी अपने काम के सिलसिले में बेंगलुरु चला गया था। मैं बेंगलुरु में करीब दो हफ्ते तक रुकने वाला था इसलिए मैंने यह बात शांति को बता दी थी शांति ने मुझे कहा कि आप अपना ध्यान रखना। उस रात हम दोनों फोन पर बात कर रहे थे तो शांति से मैंने काफी देर तक फोन पर बात की, वह मुझे कहने लगी कि अविनाश जब आप मेरे साथ होते हो तब आप मुझे बिल्कुल भी समय नहीं दे पाते हो।
मैंने उसे कहा कि हां शांति मुझे पता है कि मैं तुम्हें बिल्कुल भी समय नहीं दे पाता हूं लेकिन तुम तो जानती ही हो कि काम में मैं कितना बिजी रहता हूं। वह मुझे कहने लगी कि हां अविनाश मुझे पता है कि आप काम में काफी ज्यादा बिजी रहते हैं। उस दिन करीब हम लोगों ने दो घंटे तक फोन पर बात की और फिर मैंने फोन रखा और उसके थोड़ी देर बाद मैंने खाने का आर्डर करवाया दिया था। कुछ देर बाद खाना भी मेरे रूम में आ चुका था और मैं खाना खा कर लेटा हुआ था। मैं लेटा हुआ था और मेरे कमरे की घंटी बजी मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो मैंने सामने देखा एक सुंदर सी लड़की खड़ी थी उसने लाल रंग की मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी जिसमें की उसकी गोरी टंगे साफ दिखाई दे रही थी। मैंने उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखा वह मुझे कहने लगी क्या यह रूम नंबर 209 है तो मैंने उसे कहा नहीं यह रूम नंबर 206 है उससे मुझे कहा सॉरी मैंने आपको डिस्टर्ब किया।
मैंने उससे कहा कोई बात नहीं मुझे नहीं पता था कि वह कॉल गर्ल है मैंने उसे अंदर आने के लिए कहा वह अंदर आ गई हम दोनों के बीच रेट तय हो चुका था मैंने उसे पैसे दे दिए क्योंकि मैं उस हसीन लड़की को चोदना चाहता था उसकी लंबी टांगे और उसका बदन देखकर मैं उसे चोदने के लिए तैयार हो गया था मैंने जब उसके सामने अपने कपड़े उतारे तो उसने भी मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरू कर दिया जब उसने ऐसा किया तो मेरे अंदर की गर्मी को वह पूरी तरीके से बढ़ा चुकी थी अब मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मैं बिल्कुल भी रहा नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालने के लिए तैयार हूं मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया। मैं चाहता था कि मैं उसकी गर्मी को पूरी तरीके से मिटा दूं मैंने जब उसके नरम होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे बड़ा ही मजा आने लगा मैं जब उसके होंठों को चूम रहा था तो अब धीरे-धीरे में उसके स्तनों को भी अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। मैंने उसके स्तनों को बहुत देर तक अपने मुंह में लेकर चूसा जब मैंने उसकी स्कर्ट को उतारकर उसकी नेट वाली पैंटी को भी उतार दिया तो उसकी चूत की तरफ देखकर मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था उसकी योनि से पानी बाहर की तरफ को निकल रहा था। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं? मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाना शुरू किया मेरा लंड जब उसकी योनि को चीरता हुआ अंदर की तरफ चला गया तो मुझे मजा आने लगा। मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत का आनंद ले रहा था उससे मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा था मुझे उसे चोदने में इतना मजा आ रहा था कि मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। मै अब उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार कर रहा था और उसे भी मजा आने लगा था उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा में पानी निकलने लगा था मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा हुआ था और मेरा माल जल्दी ही बाहर की तरफ को गिरने वाला था। जैसे ही मेरा माल गिरने वाला था तो मैंने उसके स्तनों पर अपने माल को गिराया और उसने भी अपने स्तनों को साफ करते हुए मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा। उसने मुझे बताया कि वह किसी कस्टमर के पास आई हुई थी लेकिन मैंने उसे ज्यादा पैसे दे दिए थे इसलिए वह मुझसे ही अपनी चूत मरवा कर बहुत ही ज्यादा खुश है।
अब मैंने उसे बिस्तर पर डॉगी स्टाइल पोज में बना दिया और मैंने लंड पर तेल की मालिश की जिस से लंड पूरी तरीके चिकना हो चुका था। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जाने के लिए तैयार था मैंने जैसे ही अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुसते ही मेरी उत्तेजना बहुत ही अधिक बढ़ने लगी थी और मेरे अंदर की गर्मी भी इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था मैं अब उसको बड़ी तेज गति से धक्के दे रहा था मैं उसे इतनी तेजी से चोद रहा था कि मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और उसकी चूतड़ों पर मेरा लंड टकराते ही मुझे मजा आने लगा था और मैं उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार करता जिससे कि उसकी चूतड़ो का रंग भी लाल होने लगा था और उसकी चूतडे भी हिलने लगी थी यह सिलसिला काफी देर तक चलता रहा लेकिन अब उसकी गर्मी इतनी अधिक होने लगी थी कि वह मुझसे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है।
वह इतनी ज्यादा खुश हो चुकी थी कि मैंने उसे कहा मैं अपने माल को गिराना चाहता हूं। उसके बाद मैंने अपने माल को उसकी योनि के अंदर ही गिरा दिया जैसे ही मेरा माल उसकी चूत के अंदर गिरा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आया और मेरे अंदर की गर्मी शांत हो चुकी थी। मैं उसके साथ सेक्स कर के बहुत ही ज्यादा खुश था और अपने माल को उसकी चूत में गिरा कर मेरी छाती जैसे चौडी हो गई थी। उसने उसके बाद भी वह मेरे लंड को बहुत देर तक अपने मुंह के अंदर ले कर सकिंग करती रही मेरे लंड से उसने पानी बाहर निकाल दिया। मुझे बहुत ही अच्छा लगा जिस प्रकार से उसने मेरे लंड से पानी बाहर निकाल दिया था उस रात वह मेरे साथ ही रुकी और अगले दिन सुबह 6:00 बजे वह चली गई थी।