बिस्तर पर गरमा गरम चुदाई

Antarvasna, desi kahani: मेरी दीदी स्कूल में टीचर हैं और वह मुझे कहने लगी कि गगन क्या तुम मुझे सुहानी के घर छोड़ दोगे मैंने दीदी से कहा ठीक है दीदी मैं आपको सुहानी दीदी घर छोड़ देता हूं वह मुझे कहने लगी मैं बस थोड़ी देर बाद तैयार हो जाती हूं मैंने दीदी से कहा ठीक है। दीदी तैयार हो रही थी उस दिन मैं घर पर ही था मैं पापा के साथ दुकान पर नहीं गया था  कुछ देर में मां ने नाश्ता भी बना दिया था और मां कहने लगी कि गगन बेटा तुम नाश्ता कर लो उसके बाद तुम चले जाना। मैंने मां से कहा ठीक है मां नाश्ता लगा दो थोड़ी देर बाद दीदी भी अपने रूम से तैयार होकर आ गई और मां ने हम दोनों के लिए नाश्ता लगा दिया। हम दोनों ने नाश्ता किया और उसके बाद दीदी और मैं सुहानी दीदी के घर चले गए मैंने दीदी को सुहानी दीदी के घर छोड़ा और कहा कि दीदी क्या आपको लेने के लिए भी आना है। दीदी कहने लगी गगन मैं देख लूंगी यदि मुझे लगा कि मुझे तुम्हें बुलाना है तो मैं तुम्हें फोन कर दूंगी वैसे मैं पूरी कोशिश करूंगी कि मैं यहां से ऑटो लेकर आ जाऊं।

मैंने दीदी को कहा दीदी कोई बात नहीं यदि मुझे आना हो तो आप मुझे फोन कर दीजिएगा वह कहने लगी ठीक है गगन उसके बाद दीदी चली गई और मैं वहीं से वापस लौट आया। मैं थोड़ा सा आगे ही निकला था कि दीदी मुझे फोन करने लगी मैंने जल्दी से दीदी का फोन उठाया तो दीदी कहने लगी की गगन मेरा बैग कार में ही रह गया है। मैंने देखा तो दीदी का बैग कर में ही था मैंने उन्हें कहा कि दीदी बस थोड़ी देर में मैं आता हूं मैंने गाड़ी घुमाई और उसके बाद मैं दीदी के पास पहुंच गया दीदी घर के बाहर ही मेरा इंतजार कर रही थी उनके साथ सुहानी दीदी भी थी। मैंने दीदी को उनका बैग दिया और उनसे कहा कि मैं अब चलता हूं तो दीदी कहने लगी कि ठीक है गगन मैं तुम्हें फोन कर दूंगी तभी सुहानी दीदी ने कहा कि अंकुश तुम घर आ ही गये हो तो चाय पी कर जाना। मैंने उनसे कहा कि नहीं दीदी रहने दीजिए लेकिन उन्होंने मुझे कहा कि तुम थोड़ी देर बाद चले जाना और फिर मैं थोड़ी देर तक उनके घर पर ही रुक गया उसके बाद मैं वापस घर लौट आया।

मैं जब वापस घर लौटा तो मां मुझे कहने लगी की गगन बेटा तुम घर पर ही हो ना मैं अभी आती हूं मैंने मां से कहा लेकिन आप कहां जा रही हो तो उन्होंने मुझे बताया कि वह पड़ोस की आंटी के घर जा रही है। मैं घर पर ही था और वह चली गई घर पर उस दिन कोई भी नहीं था पापा भी किसी काम से गए हुए थे मैं ही घर पर अकेला था मैं घर पर अकेले बोर हो रहा था तो सोचा कि टीवी देख लेता हूं। मैं टीवी देख रहा था कि तभी कोई डोर बेल बजा रहा था लेकिन टीवी की आवाज़ काफी ज्यादा थी इसलिए मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। जब मैं बाहर गया तो मैंने देखा कि एक कोरियर वाला बाहर खड़ा था वह मुझे कहने लगा कि सर मैं काफी देर से डोर बेल बजा रहा था। मैंने उसे कहा हां मुझे सुनाई नहीं दिया मैंने उससे कहा हां कहो क्या काम था तो वह कहने लगा कि सर आनंद मिश्रा कहां रहते हैं मैंने उन्हें कहा कि यह आनंद मिश्रा का घर नहीं है आनंद मिश्रा बिल्कुल इसके पीछे वाली गली में है। वह कहने लगा सर सॉरी मैंने आपको डिस्टर्ब किया और वह वहां से चला गया मैं अब टीवी देखने लगा मैं जब टीवी देख रहा था थोड़ी देर बाद मां भी वापस लौट आई मां वापस लौटी तो मैंने उन्हें कहा आप काफी देर तक आंटी के साथ बैठ गई थी। वह मुझे कहने लगी कि हां बेटा तुम्हें मालूम है ना कि कविता आंटी की बातें खत्म ही नहीं होती हैं, मैंने उन्हें कहा हां मां यह तो आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं। मां ने मुझे कहा बेटा काफी देर हो गई है तुम्हारे पापा भी अभी तक नहीं लौटे हैं तुम उन्हें फोन कर दो मैंने पापा को उसी वक्त फोन किया और पापा से पूछा कि पापा आप कब तक वापस आएंगे उन्होंने मुझे कहा कि बेटा मुझे आने में थोड़ा देर हो जाएगी। दीदी भी अभी तक लौटी नहीं थी तो मैंने दीदी को भी फोन किया दीदी मुझे कहने लगी कि गगन मैं बस थोड़ी देर बाद ही यहां से घर के लिए निकल रही हूं। मैंने दीदी से कहा कि दीदी आप जल्दी से घर आ जाइए मैं और मां आपका इंतजार कर रहे हैं दीदी कहने लगी कि बस थोड़ी देर बाद ही मैं यहां से निकल रही हूं। दीदी करीब एक घंटे बाद घर पहुंच चुकी थी लेकिन पापा अभी तक नहीं आए थे हम लोग पापा का इंतजार कर रहे थे काफी देर भी हो चुकी थी तो मैंने दोबारा से पापा को फोन किया वह कहने लगे कि बेटा बस मैं घर पहुंच रहा हूं।

मां और दीदी अब रसोई में खाना बनाने की तैयारी करने लगी मैं भी अपने रूम में बैठा हुआ था क्योंकि मुझे गेम खेलने का बड़ा शौक है इसलिए मैं अपने लैपटॉप पर गेम खेल रहा था और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने काफी देर तक गेम खेला और उसके बाद पापा भी आ चुके थे थोड़ी देर बाद खाना भी तैयार हो चुका था और हम सब लोगों ने साथ में खाना खाया। अगले दिन से मैं पापा के साथ काम पर जाने लगा और दीदी अपने स्कूल चले जाया करती थी इसलिए घर पर मुझे कम ही समय मिलता था। दीदी को जब भी कोई जरूरत होती तो वह मुझसे कह देती थी और मैं ही उनकी मदद कर दिया करता था। एक दिन दीदी मुझे कहने लगी कि गगन तुम मुझे सुहानी के घर छोड़ दो तो मैंने दीदी से कहा ठीक है दीदी मैं आपको सुहानी दीदी के घर छोड़ देता हूं। उस दिन मैं दीदी को सुहानी दीदी के घर छोड़ने के लिए चला गया और कुछ देर मैं सुहानी दीदी के घर पर भी बैठा रहा।

मैं कुछ देर वहां बैठा हुआ था उस वक्त वहां राधिका आई। राधिका सुहानी दीदी के पड़ोस में रहती हैं, सुहानी दीदी ने उस से मेरा परिचय करवाया। कुछ दिनों बाद मुझे राधिका दोबारा से मिली जब वह मुझे मिली तो मैंने उससे बात की हम दोनों की एक दूसरे से मुलाकात होती रहती थी। मैंने उसका नंबर ले लिया था ना जाने उसने मेरे दिल पर ऐसा क्या जादू किया था कि मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता था क्योंकि उसका बदन बड़ा ही सेक्सी है। मै उससे फोन पर बात करने लगा था उसके फिगर की मैं हमेशा तारीफ कर दिया करता जिससे कि वह बड़ी ही उत्तेजित हो जाया करती। अब हम दोनो ने सेक्स करने का फैसला कर लिया। मैने उसे घर बुला लिया वह घर आई तो वह बहुत सुंदर लग रही थी। मै उसे देखकर काबू ना कर सका और उसके होंठो को चूम लिया उसको मैने पटकते हुए बिस्तर पर लेटा दिया। जब मैं राधिका के बदन को महसूस कर रहा था तो मुझे अच्छा लगता, काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद मैने उसके कपड़े उतारकर उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। उसके स्तनों को दबाकर मे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रहा था मैंने राधिका  के स्तनों को अपने मुंह मे लेना शुरू किया तो वह सिसकिया लेने लगी। मैंने उसके कपड़ों को उतार दिया वह मेरे सामने नंगी थी, उसका गोरा बदन और उसके स्तनो को मैं दबा रहा था। मैं जब उसकी चूत के अंदर उंगली डालने लगा वह अब बहुत ज्यादा तडपने लगी। उसने मेरे लंड को कसकर पकड़ लिया और अपने मुंह के अंदर ले लिया वह मेरे लंड को संकिग करने लगी। जब राधिका मेरे लंड को चूस रही थी तो मेरे लंड से पानी बाहर निकाल रहा था, बहुत देर तक उसने मेरे लंड को अपने मुंह मे लेकर सकिंग किया। मै अब उसकी मुलायम चूत को चाटने लगा, उसकी गोरी और लाजवाब चूत कमाल की है।

मैंने जब उसकी चूत पर अपने लंड को लगाया तो उसकी चूत बहुत गरम हो गई थी। मैने उसकी चूत मे झटके से लंड घुसा दिया वह बहुत जोर से चिल्लाई और उसकी चूत के अंदर मेरा लंड जा चुका था। मैं उसके ऊपर से लेटा हुआ था वह अपने पैरों को खोल रही थी। उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी नजर आ रही थी वह अपने पैरों को खोल रही थी। हम दोनो की गरमाहट बढ रही थी, मैं जब उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को करता तो वह अपने पैरों को खोलती। मुझे उसको चोदने मे बहुत मजा आ रहा था, उसकी चूत की दीवार तक मेरा लंड जा रहा था मैं उसको धक्के मारता तो वह बहुत ज्यादा खुश हो रही थी। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत का मजा तुम ऐसे ही लेते रहो, मैंने उसकी चूत का मजा बहुत देर तक लिया। उसकी चूत से निकलता हुआ गरम पानी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था मुझे लगने लगा मैं उसकी चूत की गर्मी को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाऊंगा।

मैंने अपने धक्को मे और तेजी कर दी और उसे तेजी से चोदने लगा। उसने मेरा साथ बहुत देर तक दिया जब मैने अपने वीर्य को उसकी कोमल चूत मे गिराया उस से वह बहुत ही खुश थी और मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था। हम दोनों ने कुछ देर साथ में बैठकर बात की मुझे राधिका के साथ बात करना अच्छा लगा लेकिन उसकी चूत से जो गरम पानी निकल रहा था उससे मैं अपने आपको रोक ना सका। मैने उसे चोदने का फैसला कर लिया और करीब 5 मिनट तक हम दोनों में दोबारा से सेक्स किया मुझे बहुत ही अच्छा लगा जिस प्रकार से मैंने राधिका के साथ संभोग किया। हम दोनों जब भी मिलते हैं तो एक दूसरे को हमेशा संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं। मुझे राधिका के साथ समय बिताना अच्छा लगता है।  राधिका मुझसे मिलकर हमेशा खुश रहती है वह हमेशा सेक्स को लेकर उतावली रहती हैं और हमेशा ही मुझसे फोन पर बात करते रहती हैं। एक दिन राधिका और मैं हमारे घर पर सेक्स कर रहे थे उस दिन मेरी दीदी ने हम दोनों को देख लिया था लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी इस बारे में कुछ नहीं कहा परंतु मुझे राधिका के साथ सेक्स करना बहुत ही अच्छा लगता है और मैं उसके बिना एक पल भी नहीं रह सकता हूं।